योग या तुम्हारी क्रियाएँ नहीं आती। मैं एक साधारण स्त्री हूँ, परन्तु मैंने तुम्हें ठहराया इसलिए कि मेरे पतिदेव अस्वस्थ थे, मैं उनकी सुश्रूपा कर रही थी, और वह मरा धर्म था। जीवन भर मैंने अपने धर्म-पालन करने की चेष्टा की है। लड़की की भाँति जब मैं अविवाहिता थी, मैंने धर्म का पालन किया; और अब जब विवाह हो गया है तब भी मैं अपने धर्म का पालन कर रही हूँ। यही मेरा योग है, जिसका मैं अभ्यास करती हूँ, और धर्म का पालन करने से मुझे ज्ञान-ज्योति मिली है, इसलिए मैं तुम्हारे विचार और जो कुछ तुमने वन में किया था, जान सकी। परन्तु यदि तुम्हें इससे अधिक जानने की इच्छा है, तो अमुक नगर की हाट में जाओ और वहाँ तुम्हें एक कसाई मिलेगा, वह तुम्हें कुछ बतायेगा जिसे सीखकर तुम्हें बड़ी प्रसन्नता होगी। संन्यासी ने सोचा,-"नगर जाकर क्या करूँ और एक कसाई के पास! ( हमारे देश में कसाई सबसे छोटी जाति के होते हैं;वे चांडाल कहलाते हैं और कसाई होने के कारण उन्हें कोई छूता नहीं। कसाई का काम करने के अतिरिक्त वे मेहतर आदि का काम भी करते हैं )
परन्तु जो कुछ उसने देखा था, उससे उसकी आँखें कुछ-कुछ खुल चुकी थीं, पस वह चला। नगर के पास पहुँच वह हाट में आया और वहाँ उसने एक मोटे कसाई को वड़े-बड़े चाकुओं से पशुओं को काटते-छाँटते और ग्राहकों से बातचीत करते और मोल-तोल करते देखा। "भगवान् भला