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द्रव्य नहीं। पर यदि हम मूल द्रव्यो में से कोई एक लेकर उसका परमाणुओ तक विश्लेषण करे तो हमें उसी द्रव्य के परमाणु मिलेगे और किसी द्रव्य के नही। एक मूल द्रव्य के साथ दूसरे मूल द्रव्य किस प्रकार और किस परिमाण मे मिलते है तथा मिलने से क्या परिणाम होते है इन सब बाता का विचार करनेवाला शास्त्र रसायनशास्त्र कहलाता है। भौतिक विज्ञान द्रव्य के सामान्य गुण तथा गतिशक्ति के नियमों और विधान का निरूपण करता है। इस प्रकार आजकल प्राकृतिक विज्ञान की दो प्रधान शाखाएँ है ।

परमाणु नाम पड़ा क्यो ? पहले लोगो की धारणा थी कि परमाणु द्रव्य के सूक्ष्मत्व की चरम सीमा है। परमाणु के और टुकड़े हो ही नही सकते। परमाणु अखड तथा नित्य है। दार्शनिको ने तो परमाणु की कल्पना अनव था से बचने के लिए ही की थी। पहले लोगो को परमाणुओं के बनने बिगड़ने या खड खड होने के प्रमाण नहीं मिले थे। पर इधर युरेनियम, रोडियम आदि कई नए मूल द्रव्यो के मिलने से ऐसे प्रमाण भी मिल गए। उनके परमाणुओं की परीक्षा से पता चला कि भारी परमाणु के कण अत्यत वेग से उड़ते जाते हैं और फिर मिलकर हलके परमाणु बनाते जाते हैं। ये कण विद्युदणु कहलाते है। इन्हीं के मिलने से परमाणुओ की योजना होती है।

मूलभूत और परमाणु की कल्पना इसी रीति पर हमारे यहाँ के वैशेपिक दर्शन में भी हुई है। द्रव्यखड के टुकड़े करते करते हम ऐसे टुकड़ो तक पहुँचेगे जिनके और टुकडे