पृष्ठ:वीरेंदर भाटिया चयनित कविताएँ.pdf/१३

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हम जो हम हैं

 

हम
मछलियों को पानी में डूबने से बचाते हैं
हम
हिरनों को समझाते हैं
कि यूं हवा में कुलांचे भरना अच्छी बात नहीं
हम
चिड़ियों से कहते हैं कि उड़ोगी तो गिर जाओगी

हम
स्त्री को भी
मछलियों की तरह बचाते हैं
हिरनों की तरह समझाते हैं
चिड़ियों सा बरगलाते हैं

स्त्री ने फिर पलट कर पूछा एक दिन
तुम पानी के मगरमच्छ
जंगल के शेर
और आसमान के बाज को क्यों नहीं समझाते कभी

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 13