पृष्ठ:वीरेंदर भाटिया चयनित कविताएँ.pdf/१५

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सोचना कुछ और है
कि गर्भनाल से छूटते ही
भ्रमनाल मे लड़ रहे हम अभिमन्युओं को
या तो द्रोण समझ आ जाए पूरा
या फिर चक्रव्यूह

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 15