पृष्ठ:वेद और उनका साहित्य.djvu/९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[वेद और उनका साहित्य यदि हमारे गौ या घोडे की हिंसा करेगा तो तुझ को सीसे की मोलियों से हम वेध डालेंगे शब हमारे वीरों का कोई नाश न कर सकेगा। था। १ । १६।४ युद्ध-हे शूर ! वारण तुम्हारे बाहु और धनुष तुम्हारे पराक्रम हैं । तलवार और परशु प्रादि शम्न सब शत्रुनो पर प्रगट कर दो। थ० ११ ।। (११)। हे मित्रो ! उठो और योग्य रीति से तैयार हो जामो थोर अपने मित्र पक्ष के मनुष्यों को सुरक्षित करो। है वीरो' उठो! पकडने थोर बाँधने के तमाम उपायों का संग्रह कर के शत्रु पर चढ़ाई का प्रारम्भ करो, धावा बोल दो । थ०१।३।३ हे शूरो । तुम्हारा सेनापति भागनेवाले शत्रुओं के मुखियों को चुन- चुन कर मारे । इन में से कोई बचने न पावे । १० ११ । ९ (१)२ शत्रुनों के दिल दहल नाय, प्राण उखड़ जायँ, मुँह सूख जाय, परन्तु हमें विजय प्राह हो। य०११। (११)२ जो धैर्यशाली है, जो धावा बोलने वाले है, जो प्रचएद धीर हैं, नो धुएँ के श्रख का उपयोग करते है, जो शत्रुथों का छेदन-भेदन कर डालते हैं, उन सब की सेना तैयार करो। थ०११।६।२२ हे सैनिक मैं जानता हूँ कि रक्त-पताकानों के उड़ाने वाले पाप ही विजय करेंगे। 4.११1१. (16)२