पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/१४३

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विशंति परिच्छेद
 

मिमो―'ऐं पोप? हमलोगों की सहायता करने के लिये दत्तचित्त हैं?।'

गाञ्जेगा―(उसके सामने पोप का पत्र फेंक कर) लो पढ़ो तुमको तो किसी के कथन का विश्वास ही नहीं आता। कहता हूँ न कि पोप ने हम लोगों की सहायता करने की प्रतिज्ञा की है, क्योंकि उन से यह बात कही गई है कि जब वेनिस का प्रबन्ध प्रथमतः फिर से संगठित होगा, तो यहाँ की धर्म्म संबंधी बातों में उनको पूरा अधिकार दिया जायगा। बस परमेश्वर के लिये मिमो अब हम लोगों को व्यर्थ क्लेशित मत करो, बरन काण्टेराइनों के विचार को तत्काल कार्य में परिणत करो। अब उचित है कि सर्वजन जो हमारे सहकारी हैं आज ही परोजी के गृह पर बुलवाये जायँ, और वहाँ उनको आवश्यकतानुसार अस्त्र शस्त्रा दे दे दिये जाँय। बिप्लव करने का संकेत यही नियत रक्खो, कि ज्यों ही निशीथ काल हो काण्टेराइनो नृत्यायतन से तत्काल शस्त्रालय की ओर दौड़ जाँय, सालवाइटी जो वहाँ का निरीक्षक और रक्षक है, हमलोगों का पृष्टपोषक है वह इनके पहुँचते ही द्वार कपाट खोल देगा।'

काण्टेराइनो―सामुद्रिक अधिकारी (अमीरुलबहर) इडार्नो को भी ज्यों ही यह समाचार ज्ञात होगा, अपने चरों और धावकों को लेकर हमारी सहायता के लिये तत्काल पहुँच जायगा।'

परोजी―'भाई अब तो हमारे कार्य्य के पूर्ण होने में रञ्चक मात्र संशय नहीं।'

काण्टेराइनो―केवल इतना स्मरण रखना चाहिये कि


सदा से रूम में रहते हैं जो पहले इटली की वरन अखिल संसार की राजधानी था॥