बिचार कार्य में परिणत होगा। लो भाई बैठे क्या करते हो पानपात्र पूरित कर पान करना प्रारंभ करो। परमेश्वर की शपथ है कि मुझे तो हँसी आती है, कि महाराज ने आमंत्रण करके आप ही हम लोगों को अपनी अभिसन्धि पूर्ण करने का अवसर प्रदान किया है॥"
परोजी―'शेष रहा फ्लोडोआर्डो, उसको तो मैं इसी समय मरा अनुमान करता हूँ तथापि नृपति महाशय के गृहगमन के प्रथम अविलाइनो से मिल लेना उत्तम होगा॥'
काण्टेराइनो―'यह कार्य हमलोग तुम्हारे ऊपर छोड़ते हैं। अब मैं अबिलाइनो के स्मरण में यह मदपूरित प्याला पीता हूँ॥
इस पर सबने एक एक पानपात्र अबिलाइनो के स्मरण में पान किया। फिर पादरी गानज़ेगाने द्वितीय पानपात्र कार्य्य सिद्धि की कामना करके विष मार कर पिया और सभोंने उसका साथ दिया।
परोजी―'भाई मदिरा है तो स्वादिष्ट और प्रत्येक व्यक्ति के मुखड़े पर इस समय उत्साह भी झलक रहा है, परन्तु देखिये अड़तालिस घण्टे के उपरान्त भी ऐसा आनन्द प्राप्त होता है अथवा नहीं, अभी तो हमलोग हँसी और प्रसन्नता के साथ अलग होते हैं, अब परमेश्वर जाने कि दो दिन के बाद जब फिर एकत्र होंगे उस समय भी यही उत्साह बना रहता है या नहीं। अच्छा जो हो सो हो अब तो हमने इस भयँकर दरिया में निज नौका को डाल दिया पार लगाने वाला परमेश्वर है।