आयके द्वारा इसने अपने को उच्चकुलजात प्रसिद्ध किया, और विलक्षणता यह कि सम्भ्रान्त बन कर मेरे यहाँ प्रविष्ट हुआ, और चट रोजाविला का मन अपने वश में कर लिया। फिर छल करके मुझसे रोजाविला के साथ उद्वाह करने की प्रतिक्षा कराई और अब चाहता है कि मैं उसे पालन करूँ इसलिये कि बचाजी मेरे जामाता बनकर उचित दण्ड से बच जायँ और रङ्गर लिया मनायें। महाशयो कथन कीजिये ऐसे व्यक्ति के साथ प्रतिज्ञा पालन करना उचित है'॥
सब लोग―(एक मुँह होकर) "कदापि नहीं, कदापि नहीं"॥
फ्लोडोआर्डो―यदि एक बार आपने बचन हार दिया तो उसे पूर्ण करना उचित है चाहे राक्षस के साथ ही आपने बचन क्यों न हारा हो। छी! छी! खेद है कि मैंने क्या धोखा खाया मैं समझता था कि भले मानसो से काम पड़ा है यदि यह जानना कि ऐसे लोग हैं तो कदापि इस कार्य में न पड़ता। (डपट कर) महाराज! अंतिम वार मैं आपसे फिर पूछता हूँ कि आप अपनी प्रतिज्ञा को पालन करेंगे वा नहीं?'
अंड्रियास―(घ्रुड़क कर) 'शस्त्रों को दे दो'॥
अबिलाइनो―'तो वास्तव में आप रोजाबिला को मुझे न दीजियेगा क्या निष्प्रयोजन मैंने अविलाइनो को आपके वश में कर दिया?'॥
अंड्रियास―'मैंने फ्लोडोआर्डो से प्रतिज्ञा की है, पापकर्म्म रत, बधिक, अविलाइनो से मुझे कोई प्रयोजन नहीं है, यदि फ्लोडोआर्डो आकर निज प्राप्त वस्तु की याचना करे तो निस्स- न्देह रोजाबिला उसे मिल सकती है परन्तु अविलाइनो उसके लिये याचना नहीं कर सकता। द्वितीय बार मैं कहता हूँ कि शस्त्रों को रख दो।'