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वेनिस का बाँका
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अविलाइनो। (भोंड़ी रीति से हास्यपूर्वक) 'अहा! आप मुझे बधिक कहते हैं, बहुत उत्तम आप अपने कार्य्य को देखिये मेरे पापों के पीछे न पड़िये वे मुझसे सम्बन्ध रखते हैं, प्रलय के दिवस मैं परमेश्वर को समझा लूँगा।'

पादरी गाञ्जेगा―'ऐ चाण्डाल! दुष्टपुङ्गव! क्या अयोग्य बातें अपने मुख से निकालता है।'

अविलाइनो―'ओहो! पादरी महाशय तनिक इस समय महाराज से मेरा रक्षा के लिये कुछ कह दीजिये, यही अवसर सहायता करने का है, आप तो मुझसे भली भाँति अभिज्ञ हैं मैंने सदा आप का कार्य तन मन से कर दिया है, और तनिक बहाना नहीं किया है, इसको तो आप अस्वीकार नहीं कर सकते भला इस समय तो काम आइये और मेरा पक्ष समर्थन करके मुझे बचा लीजिये'॥

पादरी महाशय! (मुँह बनाकर) स्मरण रख कि जो मुझ से बेढंग बोला तो अच्छा न होगा, और सुनि ये दुष्टात्मा का बातें, कहता है कि मैंने निरन्तर आपका कार्य कर दिया है भला मेरा कौनसा कार्य तुझसे अटका था, महाराज बिलम्ब न कीजिये, पदातियों को घरके भीतर बुला ही लीजिये।

अबिलाइनो―'ऐं, अब मैं बिल्कुल निराश हो जाऊँ, किसी को मुझ मन्दभाग्य पर क्या नहीं आई, हाय! कोई तो बोलता (कुछ काल पर्यन्त ठहर कर) सब चुप हैं सब, वस भगड़ा समाप्त हुआ, बुलाइये महाराज पदातियों को बुलाइये।'

यह सुन रोजाबिला चिल्ला कर महाराज के युगल चरणों पर गिर पड़ी और रुदन करके कहने लगी 'क्षमा! क्षमा! परमेश्वर के लिये अबिलाइनो पर कृपा कीजिये।"

अबिलाइनो―(हर्ष से कूदकर) प्यारी तुम ऐसा कहती हो? बस अब मेरो प्राण सुगमतया शरीर से निकलेगा।