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पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/४९

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वेनिस का बांका
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है, इस कुञ्ज से प्रस्थान के प्रथम तुम अपने नाशक का शव यहाँ तड़पता देखोगी।

उस समय रोज़ाविला ने चाहा कि निकलभागे परन्तु अकस्मात् वह बृद्ध, जो पहले अत्यन्त निर्बल था जिसके मुख से अल्पकाल हुआ कि बात कठिनता से निकलती थी और एक वृक्षके आश्रय से बैठा हुआ था-कड़क कर उठ खड़ा हुआ और उसको हाथ पकड़ कर खींच लिया।

रोजाविला―परमेश्वर के लिये मुझे छोड़ दो कि भाग जाऊँ।

अविलाइनो―राजकन्यके! अल्पभय न करो मैं तुम्हारी प्राण रक्षा के लिये उपस्थित हूँ।

यह कहकर उसने अपनी जेब से एक सीटी निकाल कर मँह से लगायी और उसको जोर से बजाया। सीटी के साथ ही माटियो जो कुछ दूर वृक्षों की ओट में छिपा था अपने स्थान से निकल कर कुञ्ज के भीतर घुस पड़ा। अविलाइनो रोजाबिला का परित्यापन कर कई क़दम माटियो की ओर बढ़ा और उसके समीप पहुँच कर कटार को उसके हृदय में भोंक दिया। माटियो के मुख से शब्द तक न निकला और वह अविलाइनों के चरणों के समीप गिर पड़ा। किश्चित् काल पर्य्यन्त कर पद पटकने के उपरान्त उसकी आत्मा ने यमलोक को प्रस्थान किया। उस समय अबिलाइनो ने फिर कुञ्ज की ओर दृष्टिपात किया तो देखा रोजाबिला कर पग परिचालना हीन मूर्ति की सी अवस्था में खड़ी है।

अविलाइनो―मेरी षोड़शाब्दा! कोमलाङ्गी!! रोजा- विला!!! देखो उस दुष्टात्मा का शरीर जो मुझको तुम्हारे नाश करने के लिये यहाँ लाया था, वह पड़ा है। चित्त ठिकाने करो और अपने घर जाकर अपने पितृव्य महोदय से कहो कि