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धन और स्त्री नहीं ठहर सकते। " इतना कह, उस रूप , तेज कोमलता तथा प्रगल्भता की मोहिनी मूर्ति को मन में धारण कर जयराज अपने आवास को लौट आए ।
धन और स्त्री नहीं ठहर सकते। " इतना कह, उस रूप , तेज कोमलता तथा प्रगल्भता की मोहिनी मूर्ति को मन में धारण कर जयराज अपने आवास को लौट आए ।