पृष्ठ:वोल्गा से गंगा.pdf/१८७

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वोल्गासे गंगा हैं और सभी घटनाको वास्तविक रूपमें दिखलानेकी कोशिशुको जाती है।' "मुझे कितना अफ़सोस है, सौम्य ! साकेतुमें जन्म लेकर भी मैंने ऐसे अभिनयको नहीं देखा 'हमारे अभिनय के दर्शक यहाँके यवन-परिवारों तथा कुछ इष्टमित्रों तक ही सीमित हैं, इसीलिए बहुत-से साकेतवासी यवनअभिनय नाटक कहना चाहिए, सौम्य । "हाँ, यवन नाटकको नहीं जानते। आज हम लोग एक नाटक करनेवाले हैं। इम चाहते हैं कि तुम भी हमारे नाटकको दैखौ ।' *खुशीसे । यह आप मित्रोंका बहुत अनुग्रह है।' अश्वघोष उनके साथ चल पड़ा। नाट्यशालामें रंगके पास उसे स्थान दिया गया । अभिनय किसी यवन ( यूनानी ) दुखान्त नाटकका था और प्राकृत भाषामें किया गया था। यवन कुल-पुत्रों और कुलपुत्रियोंने हरएक पात्रका अभिनय किया था । अभिनेताओं तथा अभिनेत्रियों की पोशाक यवन-देशीयों-जैसी थी। भिन्न-भिन्न दृश्योंके चित्रपट भी यवनी रीतिसे बने थे । नायिका बनी थी प्रभा, अश्वघोषकी परिचिता । उसके अभिनयकौशलको देखकर वह मुग्ध हो गया। नाटकके बीचमें एक उचित अवसर देखकर पूर्व-परिचित पवन तरुणने 'उर्वशी-वियोग' गानेकी प्रार्थना की । अश्वघोष बिना किसी हिचक वीणा उठा रंगमंच पर पहुँच गया। फिर उसने अपने गानेसे स्वयं रो, दूसरोंको रुलाया। उस वक्त एक बार उसकी हुष्टि प्रभाके कातर नेत्रोंपर पड़ी थी। नाटक समाप्त हो जानैपर नैपथ्यमें सारे अभिनेता कुमारकुमारियोंको कविसे परिचय कराया गया। अश्वघोषने कहा---'साकेत में रहते हुए भी मैं इस अनुपम कलासे बिल्कुल अनभिज्ञ रहा। आप मित्रोंका मैं बहुत कृतज्ञ हूँ कि मुझे एक अज्ञात प्रभालोका दर्शन कराया ।।।