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पृष्ठ:शशांक.djvu/२९७

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(२७६ ) शशांक-मुझे क्यों मारेंगे ? वसुमित्र ! महानायक कहाँ हैं । वसु०-पाटलिपुत्र में । वे स्वर्गीय महाराजाधिराज की आज्ञा से सब राजकाय्यं चला रहे हैं । पर कुछ दिन हुए स्थाण्वीश्वर से एक अमात्य आए हैं । वे ही आज कल माधवगुप्त के प्रधान मंत्री हैं । शशांक-तो क्या महानायक सब राजकार्य छोड़ बैठे हैं ? वसु०-उन्हें विवश होकर छोड़ना पड़ा है। शशांक-तो क्या नरसिंह को भी मंडला का अधिकार नहीं मिला ? वसु०-वे पाटलिपुत्र इस लिए नहीं लौटे कि चित्रा को कौन मुंह दिखाएँगे। शशांक-चित्रा-चित्रादेवी। वसु०-प्रभु ! चित्रादेवी कुशल-मंगल से हैं । शशांक-चित्रा का विवाह हुआ ? वसु०-विवाह ? यह श्रीमान् कैसी बात कहते हैं। वे तो विधवा के समान अपने दिन काट रही हैं और आपका आसरा देख रही हैं । शशांक-तुम्हारी यूथिका की तरह ? वसुमित्र ने लजा कर सिर नीचा कर लिया। शशांक ने फिर पूछ "नरसिंह कहाँ है ?" “वे राढ़ देश में हैं। उन्होंने भी माधवगुल की अधीनता नहीं स्वीकार की। "वसुमित्र ! तुम बार बार माधवगुप्त का नाम क्यों लेते हो ? क्या तुम उन्हें सम्राट नहीं मानते ?" "प्रभु ! मैं भी विद्रोही हूँ। जब से महाराजाधिराज का स्वर्गवास हुआ है तब से मैंने एक कौड़ी पाटलिपुत्र नहीं भेजी है। आपके साथ जितने लोग यहाँ वंगदेश में आए थे उनमें से एक महानायक यशोध वलदेव ही माधवगुप्त की आज्ञा में हैं और कोई नहीं। राढ़ में