पृष्ठ:शशांक.djvu/३४५

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( ३२६) सैनिक-नहीं तो जब तक एक भी गौड़ सैनिक जीता बचेगा तब तक नरसिंहदत्त हर्ष और राज्यवर्द्धन के साथ युद्ध करते रहेंगे। शशांक-अच्छी बात है, तुम लोग बढ़ो, मैं आता हूँ। मालव राजदूत ! तुम तात देवगुप्त से कहना कि सम्राट नरसिंहदत्त की रक्षा के लिए जा रहे हैं अन्याय युद्ध करने नहीं। नरसिंहदत्त कह गए थे कि जब कोई भारी संकट उपस्थित होगा तभी मैं फिर दिखाई पडूं गा । इससे समझ लेना चाहिए कि साम्राज्य पर भारी संकट है, यदि ऐसा न होता तो नरसिंहदत्त कभी प्रकट न होते। मैं आज ही पाटलिपुत्र की सेना लेकर आगे बढ़ता हूँ। वसुमित्र, अनंतवा और माधव हमारे साथ चलेंगे। वीरेंद्र । महानायक से कहना वे चटपट अंग, वंग और गौड़ को सेना लेकर प्रतिष्ठानपुर आएँ। अनंत ! मैं कल सवेरे ही यात्रा करूँगा। नगर की सारी अश्वारोही सेना मेरे साथ चलेगी।