पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/२०

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श्रीगणेश में 12 हैंशिवसिंहसरोज - es - मि १. यूकंट्टर कवि. (धमुहमwजंलालुद्दीन अकबरे देशांह) शाह अंकल्वर लाल की बाँह औचिंतगही चलि भीतर भौनेर। सुन्दरि द्वार ही दृष्टि लगाये के भांगिनेकी भ्रम पावत .। चाकत सी सख यरविलोकंत सैफ-सकोच रही सुख मैोने। ी छवि नैन छबीली छअंत मनोविछोह पर स्मृगौने १ शाह अकबर एक 'समैनचले काले बिनो विलोकन याताई। आई तेबता निरंख्यों कि चाँकि चली करेिं आतुर चाता ।। याँ बलि लेनी मुर्धारि.भई छवि याँ लेना शुरु लालहैिं। चपक चार कमीनू चढ़ावत कामअयों हाथ लिये अहि बॉलिहैिं।" ति पर विपरीति, रमै रु शंकवर क्यों न तिया, सुख गांव । कामिनि की कटि किकिनि कान किध गनि के न गई | वैवी छुटी मैनिफे लंतलाई ,ते वर्षों लंद्र में लटकी लंगि आई। साहि मैंनोज मंनों चित में छवि चंद लिये चंकीरि खिलाin १ अचानक । २ साँप के बच्चे कों- ।३मर्णिजटिंत ।