पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/२६७

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शिवसिंहसरोज

२४ट शिवसिंहूसरोज तमा के प्रवल हल पंचबान प्रति नाके हैं । हैं न मंजुबोपा के वखाने मेनका के मैन ऐन मुखमा के नैन बाँके राधिका के हैं 1१॥ नित ही तिलूका तोरे भूमि लिखि नख हू साँ बसन मलीन राखे नेक ना धोत्रावही । पाँव धोने थोरे सौच दातउनि करें धोरी केस राखे रूखे पीठि मूठ की बजाही ॥ डासनहीन दो संध्यन में रोज सवें रोड़े अन्न खात हँसे माखन सो गावही । औन इतेक ये कुवेर हू क।ति करें हर धन विष्णु फेर बेर न लगावही ॥ २ ॥ तात नरायन बारिधि मदिर पूत पितामह सो जिन जाय। छेह को पाप सहायक मित्र सो संभ सुरेसहि को जु रिझाय ॥ माखन ऐसीरची जिहि को तिहि को जग मेटनहार न गायो । कौन को प्यारो न अंबुज जो मै तुर्बार की त्रास न काहू बचायो 1 ३ । ॥ ऐसे मेनका के न ऐसे मेनका टू के न ऐसे मैन काहू के सँवारे दीह दौर के। भौंर हैं न करे ऐसे भौंर हैं नकारे ऐसे भर हैं नकारे कंज मंजुल मरोर के ॥ सर सुखमा के हैं सरस सुखमा के हैं सो सर से हैं माखन कठच्छ पैनी कोर के । देखे हरि नी नैन देखे हरिनी के नैन देखे हरिनी के नैन ती हैं मैं और मैं ।।॥ ५३४माखन लखेरा पन्नावाले (२) वाजे डफ ढोल बाजे फाग के समाज साजे बालन के अगुड लें गुबिंद फौज जोरी है । वर्दीधे सिर चीरा हीरा झलकें कलंगिन में आंगन तरंगरंग भूषन करोरी है ॥ केसरिया बागे अनुरागे प्रेम पागे मन माखन सभागे फहरात पछोरी है । तीन्हे भरि झोरी पिचकारी रंगोरी आजु होरी आजु होरी वरसाने आ होरी है । ॥ १ ॥ . १ बिछौना । २ कदाचित् ।३ समुद्र । ४ पाला ।