और पंजाबी और फ़ारसी तीन जवानों में महा सुंदर कविता की
हैं ॥ ७२ सता ॥
३० गोविंदअटल कवि सं० १६७० में उ० ।
इनके कवित्त हज़ारा में हैं । ७५ सफ़ा ॥
३१ गोविन्दजी कवि सु6 १७५७ में उ०।
ऐजेन् ॥ ७६ सफा ॥
३२. गोविन्ददास ब्रजवासी सं० १६१५ में उ०।
रागसागरोद्भव में इनकी कविता हैं । यह कवि नाभाजी के
शिष्य थे ॥७१ सफ़ा ॥
३३. गोविन्द कवि सं० १७६१ में उ०।
यह कविशवर बड़े नामी हो गये हैं ।इनका बनाया हुआ कर्णाभरण
ग्रन्थ बहुत कठिन और साहित्य में शिरोमणि है ॥ ७३ सफ़ा ॥
३४ गुरुदीन पाड़े कवि सं० १८६१ में उ० ।
इन महाराज ने बाकसनोहरसिंगल बहुत बड़ा ग्रन्थ रचा है।
जिसमें पिंगल के सिवा अलंकार, पटऋतु, नखशिख इत्यादि और
भी साहित्य के अंग वर्णन किये हैं । यह ग्रन्थ बहुत अपूर्व है।
और कवि लोगों के पढ़ने .योग्य है ॥ ७८ सफ़ा ॥
३५ गुरुदीनराय बन्दीजन पैतेपुर ज़िले सीतापुर के विद्यमान हैं।
यह कवि राजा रणजीतसाह जाँगरे, ईसानगर ज़िले खीरी के
यहाँ रहा करते हैं। कविता में निपुण हैं ॥ ७२ सफ़ा ॥
३६ गुरुदत्त कवि प्राचीन (१) सं० १८८७ में उ०।
यह कवि-राय शिवसिंह सवाई जयसिंह के पुत्र के यहाँ थे ॥ ७४ ॥
३७ गुरुदत्त कवि (२) शुक्ल मकरंदपुर अंतर्वेदवाले
सं० १८६४ में उ०।
यह महाराज बड़े कवि थे । देवकीनंदन, शिवनाथ, गुरुदत्त;
ये तीन भाई थे । तीनों महान कवि थे । इनका बनाया पक्षीविलास
ग्रंथ बहुत सुंदर है ॥ ७५ सफ़ा॥
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कवियो के जीवनचरित्र