पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/४३२

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कवियों के जीवनचरित्र।४१५


१६ चैन कवि ।

८७ सफ़ा | १७ चैनसिंह खत्री लखनऊवाले, सं० १६१० में उ०। इनका उपनाम हरचरण है । भारतदीपिका श्रृंगारसारावली, ये दो ग्रन्थ इन्होंने बनाये हैं ॥ ८७ सफ़ा ॥

१८ चैनराय कवि।

१५ सफ़ा ॥

१६ चण्डीदत्त कवि, सं० १८६८ में उ०।

यह कवि महाराजा मानसिंह के साथ अवध में कुछ दिन रहे थे । इनकी कत्रिता सरस है। ॥ ६६ सफ़ा ॥ २० चरणदास ब्राह्मण पण्डितपुरज़िला फ़ैज़ाबाद, सं० १५३७ में उड०। ज्ञानस्वरोदय ग्रन्थ बनाया ॥ १४ सफ़ा ॥ २१ चेतनचंद्र कवि, सं० १६१६ में उ० । राजा कुशलसिंह सेंगरवंशावतंस की आज्ञानुसार अश्वाविनोद नाम शालिहोत्र बनाया ॥ ३६ सफ़ा ॥ २२ चिरंजीव ब्राह्मण बैसवारे के, सं० १८७० में उ० । भारत को भाष। किया है ॥ ३४ सफ़ा ॥ २३ चन्दसखी ब्रजवासी, सं० १६३८ में उ०। इनके पद रागसागरोद्रा में हैं। १३ सफ़ा ॥ २४ चोवा कवि, हरिप्रसाद बंदीजन डलमऊवाले विद्यमान हैं। यह कवि असोथरवाले खींचियो के पुराने कवि हैं । चोवा कवि कविता में निपुण हैं और अब थोड़े दिन से होलपुर में रहा करते हैं ॥ १६ सफ़ा ॥ १ छत्रसाल बुन्देला महाराजा पन्ना, बुन्देलखण्ड, सं० १६६० में उ०। यह महाराज महान् कवि कख़िलोगों के कल्पवृक्ष, गुणग्राहक) साहित्य के निपट चाहक-शूरशिरोमणि उदारचित्त बड़े नामी हुए हैं । इनके दरबार तक जो कवि-कोविद पहुँचा, मालामाल हो