पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/४३९

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शिवसिंहसरोज

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२५ जनोनभद्र । बैद्यन्न नाम ग्रन्थ वैद्यक का बनाया हैं ॥ ११७ सका ॥ २६ जमाल कवि, सं० १६०२ में उ० । यह कवि गूद कूट में बहुत निपुण थे । इनके दोहे बहुत - न्दर हैं ॥ १०१ सफ़ा 1 २७ जीवनाथ भट नवल ज, ज़िले उन्नाव के, सं० १८७२ में उ० । यह कवि महाराजा बालकृष्ण बादशाह के दवान के घराने के प्राचीन कधि हैं । वसंतपचीसी ग्रन्थ महाश्रद्भुत बनाया है । । ११० सफ़ा | २८ जीवन कवि (१ ), सं० १८०३ में उ० । मोहम्मदली बादशाह के यहाँ थे । कविता सुन्दर की है । । १११ सफ़ा ॥ २६ जगदेव कवि, सं० १७९२ में उ० । कविता सरस है ॥ ११२ सफ़ा ॥ ३० जगन्नाथ कवि (१ ) प्राचन । शांत रस के इन कघित्त अच्छे हैं ॥ १ १२ सफ़ा ॥ ३१ जगन्नाथ कवि (२ ) अवस्थी सुमेरपुर, जिला उन्नाव । वि०। यह महाराज इस समय संस्कृतसहित्य में अद्वितीय हैं। प्रथम महाराजा मानसिंह अवधनरेश के यहाँ बहुत दिन तक रहे । अब महाराजा शिवदीनसिंह अलबरदेशाधिपति के यहाँ हैं । संस्कृत के ‘बहुत ग्रन्थ हैं । भाषा में कोई ग्रन्थ काव्य का) iसेवा रफुट कवित्त दोहों के नहीं देखने में आया ॥ ११२ सफ़ा ॥ ३२ जगन्नाथदास । रागसागरोदव में इनके पद हैं ॥ १ १५ सफ़ा । ॥ ३३ जलालउद्दीन कवि, सं० १६१५ में उ० । हजारा में इनके कवि त्त हैं ॥ ११४ सफ़ा ॥