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पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/४४०

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कवि के जीवनचरित्र‌
 ४ जशोदानन्म कवि, सं० १८३८ में उ०।

बरकूद में बरई-नायिकाभेद नाम ग्रंथ अति विचित्र बनाया है ॥११६ सफ़ा॥ ३५ जगन्न्द कवि दृन्दावनवासी, सं० १६५८ में उ०। इनके कवित हजारा में हैं ।। ११२ सफा ॥ ३६ इसी कवि, सं० ६५८ में उ०। इनके कवित्त हजारा में हैं ।। ११३ सफा ॥ ३७ जघन कवि, सं० १६०८ में उ० । ऐज़न् ॥ ११३ सफ़ा ॥ ३८ जगजीवन कवि, सं० १७०५ में उ०। ऐछन् ।। ११३ सफ़ा ॥ ३६ जदुनाथ कवि, सं० १६८१ में उ०। तुलसी के संग्रह में इन कवित्त हैं ॥ ११४ सफ़ा॥ ४० जगदीश कवि, १० १५८८ में उ० । अकबर बादशाह के यहाँ थे ॥ ११४ सफ़ा ॥ ४१ जहसिंह कछवाह महाराजा आमेर,सं० १७७५ में उ०। यह महाराज सर्वविद्यानिधान कविकोषिदों के कल्प महान कवि थे। आप ही अपना जीवनचरित्र लिख उस ग्रन्थ का नाम जयसिंहकल्पदुम रक्खा है। यह ग्रन्य आवश्य विद्वानों कोदर्शनीय है ॥ ११४ सफा ॥ ४२ जहसिंह सिसौदिया, महराना उदयपुर सं० १६८१ में उ०। यह महाराजा राना राजसिंह के पुत्र महान कवि और कवि- कोविदो के कलवृक्ष थे । एक ग्रन्थ जयदेवखिलास नाम अपने वंश के राजो के जीवनचरित्र का बनवाया है ।। ४३ जलील (सैयद शुध्दुलजलील बिलग्रामी)सं० १७३६ में उ०। यह कवि औरंगज़ेब बादशाह के यहाँ बड़े पद पर थे अरबी फ़ारसी इत्यादि यावनी मापाओ माला में इनका पाण्डित्य इनके