१ राजा दलसिंह कवि , बुंदेलखंडी, सं० १७८१ मे उ०। पत प्रेमपपोनिधि नाम श्रेय राधामाधव के परस्पर माना लीलाविहार के वर्णन में बनाया है ॥ १३२ सफ़ा ॥ २ दुलपतिराय बंशीधर श्रीमाल ब्राह्मण आमद्रावाख़ासी सं० ८८५ में उ० । भाषाभूषण तिलक दोनों ने मिलकर बहुत विचित्र रचना करके बनाया हैं । १३६ सं० ॥ ३ दयाराम कवि (१)। अनेकार्थमाता ग्रंथ बनाया है॥ १३८ सफा ॥ ४ दयाराम कधि त्रिपाठी, सं० १७६६ में उ०। शांतरस के कवित्त चोखे हैं ॥ १३३ सफ़ा ॥ ५ दयानिधि कवि (२)। १३९ सफ़ा ॥ ६ दयानिधि ब्राह्मण पटनानिघासी (३)। १४० सफा ॥ ७दयानिधि कवि वैसयारे के, सं० २०११ में उ० । राजा श्रतसिंह वैस की आशानुसार शालिहोत्र ग्रंथ बनाया। १३१ सफ़ा ॥ ८ दयानाथ दुबे, सं० १८८६ में उ०। आनंदस नाम ग्रंथ नायिकाभेद का बनाया है।॥ १४४ सफा॥ ६ यादेव कवि । १३१ सफ़ा ॥ १० इस प्राचीन देव ब्राह्मण कुसमड़ा ज़िले कन्नौज सं० १८७० मे उ०। इन महाराज ने सुंदर कविता की है ।। ११ दत्त देवदत्त ब्राह्मण साढ़ जिले कानपुर सें० १३६ में ०। यह कवि प्रभाकर के समय में महाराज खुमानसिंह बुंदेला चरखारी के यहाँ थे । उन दिनों पद्माकर वाल दत्त इन तीनों कधियों की बड़ी छेड़छाड़ रहती थी। धारा बाँषि छूटत
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