पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/५१

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शिवसिंहसरोज

शिवसिंह सरोज . 5 . ग्रवास अलकेरस के लैंकेस के ॥ जीत के जहर साझे फौजनि के अम्र बा में भारी भगवन्त के द्वार बलवंत के । दरजे दिली के उमराइन के उर प, गरजें नगारे गाजीपुर के नरेस के ॥ २ ॥ कास कपास कैलास कि लल कनी कचनार कुसूम कनोने । कासित कोमल कुंsल कानन कंज कदम्बनि कम्फ रोने ॥ कुन्दकली कलहंस कपूर कनी कर कुंद कविन्द कहोने । काम कमान जलकर की नर रण कि सोर कि कीरति कोने ५३ ॥ समर अमेटी सरोस गुरुदत्तसिंह सादति की सेना समसेरन साँ भानी हैं। भनत कविंद काली हुलसी नसीसन को ईसन के सीस की जमाति सरसानी है ॥ तहाँ एक जोगिनी अभटखोपरी ले उड़ी सोनित पियति ताकी उपमा बखानी है । प्यालो ठं चिनी को छफी जोबनतरंग मानौ रंग हेत पीवाति नीठ मुगलानी है ॥ ४ ॥ ६२, कविंदाचार्य सरस्वती काशवासी ( कवीन्द्रकल्पलता ) मंडत घमंडि के आ खंड नवखंडन मैं चंड मारतंड जोति लौं बखानियत है । मलैपारा-रषयपूर से पतरि पर पुहमी के ऊपर . पा िचानियत है ॥ खंड्व के दाह समै पहुँध के बान जिमि मंडि महिमंडल के अरि भानियत है । । साहिजहाँसाहू की फौज को फैलाश देखौ जंबूद्वीप सों उभार तम्बू तानियत है ॥ १ ॥ दोहा—सप्त द्वीप नव खंड में, भुवन चन्स माहैिं । साहिजहानाबाद सो, नगर दूसरो नाईि ॥ १ ॥ नदि उपसा को दूसरो, जामें बरित ठ बाद । साहिजहानाबाद सो, साहिजहानाबाद ॥ २ ॥ १ क्रोधित ।२ प्रलय के सागर की जलराशि । ३ खांडप बन । ४ अर्जुन ।