पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/१२

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शिवा बावनी

शिवा बावनी और हवा के शब्द से चौंक चौंक उठती हैं। बादलों की गरज को सुन करा बुद्धि भ्रष्ट दिल्ली-निवासी यह बात कहते हैं कि यह सितारा के किले के स्वामी अर्थात् शिवा जी के नगाड़े बज रहे हैं। टिप्पणी ___ यहां शुद्धापन्हुति अलङ्कार है। जहां उपमेय को सत्यता छिपाकर वह हपमान प्रकट किया जाता है, वहां शुद्धापन्हुति अलङ्कार होता है । यहां कवि ने उपमेय शब्द 'बादल' को असत्य बतला कर उपमान शब्द 'दख' को स्थापित किया है। इस छन्द के प्रथम दो चरण बहुत ही शिथिल हैं । प्रथम चरण के दोनों विभागों के अर्थ में कोई विशेष अन्तर नहीं जान पड़ता। दूसरे चरण में शिवाजा के दल के सम्बन्ध में तीना का स्मरण अप्रासंगिक है। ___हकारी अहङ्कारी, यहां 'अ' छिपा हुश्रा है। खग्ग-खन। वयारी-इवा। सितारे गद-सितारा का किला, सितारा एक नगर का नाम है, जहां शिवा जी की राजधानी थी। तीजा हरितालिका तीज । बाजि गजराज सिवराज सैन साजतही, दिल्ली दिलगीर दसा दीरघ दुखन की। तनियाँ म तिलक सुथनियाँ पगनियाँ न, - घामें घुमराती छोड़ि सेजियाँ सुखन को। भूषन भनत पति पाहं बहियाँ न तेऊ, बहियाँ छबीली ताकि रहियाँ रुखन की। बालियाँ पिपुर जिमि मालियाँ नलिन पर, खालियों मखिन मुगसानियाँ मुखन की ॥५॥