पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/१४

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शिवा बावनी

. शिवा बावनी कोषी कहैं कहा औ गरीबी गहैं भागी जायें, बीवी गहे सूथनी सु नीबी गहे रानियाँ ॥६॥ भावार्थ भूषण कहते हैं कि हे बोरवर शिवाजी आपने अपने कत्ता (शस्त्र-विशेष ) की चोटी से औरंगजेब की सेना के टुकड़े टुकड़े करते हुए ऐसी धीरता के काम किये हैं, जिनका वर्णन मही किया जा सकता। तीनों लोको में आपका आतंक छा गया है। दिल्ली तथा अन्यान्य मुसलमानी राज्य श्राप के प्रताप से दहल गये हैं। आपके डर से वेगमें और रानियाँ आगरे के महल को मुँडेरों मे कूद कुद भागी जा रही हैं। उनके मुख कुम्हला गये हैं और बालों को ये मारे जल्दी के बाँध भी नहीं सकती हैं। दीनता से बेगमें पायजामा और रानियाँ नोबी, पकड़े भागती हुई कहती जा रही हैं 'अब हम क्या करेंगी! टिप्पणी ___ यहां अनुमास अलकार है। व्यंजनों की समानता होने से, चाहे स्वर एक से हो वा न हों अनुपास अलङ्कार होता है। इस के ५ भेद हैं, (१) सति (२) श्रुति ( ३ ) छेक (४) अनत्य और (५) लाट । कसाबांका, एक प्रकार का शस्त्र । कराकन चोटों से । कीवी%3D करेगी। धनी-पायजामा । कहा-क्या। नीबी-फुफंदी, धोती का वह भाग जिसे चुन कर खियाँ नाभि के नीचे खांस अथवा बांध लेती हैं। ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहन वारी, ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहाती हैं।