पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/५०

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शिवा बावनी

शिवा बावनी भूषन बखान केते दीन्हें बन्दीखाने, सेख सैयद हजारी गहे रैयत बजारी से। महतों से मुगुल महाजन से महाराज, डाँड़ि लीन्हें पकरि पठान पटवारी से ॥३६॥ भावार्थ साह जी के पराक्रमी पुत्र बीर शिवाजी ने शत्रुओंके किले तोड़ कर उन्हें घास फूस से भरा दिया । सेनापतियों को दण्ड दिया और बहुतों को धर्म समझ कर भिखारियों की तरह जाने दिया। कितने को जेल में डाल दिया। पंजहज़ारी आदि बड़े बड़े सेख और सैयद तेलियों और तमोलियों की नाई फिर रहे हैं । मुग़ल महतो की तरह, बड़े बड़े राजा बनियों की तरह और पठान पटवारियो की तरह पकड़ लिये गये और उनसे जुरमाना ले लिया गया। टिप्पणी यहां पूर्णोपमालंकार है। इसका उदाहरण छन्द २ में दिया है। कताकतनों को। बजारी रैयत तेली, तमोली, आदि बाज़ार में रहने वाले लोग । महतों गांव के मुखिया । पटवारी गांव के किसानों से हिसाब किताब लेने वाला एक छोटा सा कर्मचारी। सक जिमि सैल पर, अर्क तम फैल पर, विधन की रैल पर लम्बोदर लेखिये। रामं दसकन्ध पर, भीम जरासंध पर, भूषन ज्यों सिंधु पर कुंभज विसे खिये ॥