पृष्ठ:शिवा-बावनी.djvu/५९

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शिवा बावनी

शिवा बाबमा भूषन भनत वाजे जीत के नगारे भारे, सारे करनाटी भूप सिंहल को सरके। मारे सुनि सुभट पनारे बारे उदभट, तारे लगे फिरन सितारे गढ़धर के। बीजापुर बीरन के गोलकुंडा धीरन के, दिल्ली उर मीरन के दाडिम से दर के॥४४॥ भावार्थ धर्मवीर महाराज शिवजी ने किले पर किले अपने अधीन कर लिये। उनके घोर संग्रामों में शिवजी प्रकाश में नाचने लगे और सहस्रा धड़ और सिर उचकने लगे। जब विजय के बड़े बड़े नगाड़े बजाये गये, तो सारे करनाटक के राजा डरके मारे सिंहलद्वीप की भोर छिप कर भाग गये। परनालेवाखे बड़े पराक्रमी योद्धाओं का मारा जाना सुन कर सितारा के महाराजा शिवाजी का भाग्य पलटने लगा। और बीजापुर, गोलकुण्डा तथा दिल्ली के शूरवीर सरदारों के हृदय अनार की भांति फटने लगे। टिप्पणी यहां पूर्णापमालार है। इसका लक्षण बन्द २ में दिया है, पनारे से 'परनाले का बोध होता है जो बीजापुर राज्य का एक प्रसिद्ध मिला है। शिवाजी ने इस किले को संवत् १७१० में लिया था। उग्ग-(a)-(१) आकाश मंडल (२) शिव । गाजी-धर्म पर युद्ध करने वाला, धर्मवीर । दरके-फट गये।