५% शिवा बावनी कढ़ि गई रैयेत के मन की कसक सब, मिटि गई ठसक तमाम तुरकाने की । भूषन भनत दिल्ली पति दिल धकधका, सुनि सुनि धाक सिव राज मरदाने का। मोटी भई चंडी पिन चोटी के चबाय सीस, .. खोटी भई संपति चकत्ता के घराने की ॥४७॥ भावार्थ दाढ़ी रखानेवालों (मुसलमान) का हृदय जलता ही रहता है। हिन्दुस्तान की मर्यादा सब तरह बढ़ रही है। हिन्दु प्रजा का सारा कष्ट दूर हो गया और सब मुसलमानों को सेखी मारी गई । वीर श्रेष्ठ शिवा जी का आतंक सुन कर औरंग- ज़ेब का हदय धड़कता रहता है। मुसलमानके सिर खा कर रण-चंडी मोटी पड़ गई है और मुगल राज्य-वंश की लक्ष्मी दिन पर दिन क्षीण होती चली जा रही है। . टिप्पणी 'यहां अनुमास प्रकार है। इसका लक्षण बन्द ६ में लिखा गया है। सादीरहति जलती रहती है। कसक-पीड़ा । विन चोटी के मुसल्मान खोगा के। 'जिन फल फुलकार उड़त पहार भार, करम कठिन जनु कमल बिलि गो।
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