पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/२१८

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writereFMAHAMAamirmirmireuter-mi-varatantantrar+MH भक्तिसुधास्वाद तिलक । के॥ श्रवर्ण परीक्षित, सुमति व्यास सावक सुकीरतन । सुठि सुमिरन प्रहलाद, पृथु पूजा, कमला चरनन मन ॥ बन्दनं सुफलकसुवन, दास्यं दीपत्ति + कपी- श्वर । सख्यत्वे पारस्थ, समर्पन आतमं बलिधर ॥ उप- जीवी इन नाम के एते बाता अगति के । पदपराग करुणा करौ (जे) नेता नवधा भगतिके ॥१४॥(२००) श्लो. "श्रीकृष्णश्रवणे परीक्षिदभवटैयासकी कीर्तने, प्रह्लादःस्मरणे- ति, पद्म भजने लक्ष्मीः पृथुः पूजने । अरस्त्वभिवादने कपिपतिर्दास्ये च संख्येऽर्जुनः सर्वस्वात्मनिवेदने बलिरभूत् कैवल्यमेते विदुः॥१॥" बात्तिक तिलक । जो जो महानुभाव नवधा भक्ति के प्राप्त करनेवाले प्राचार्यरूप हो. सो आप सब मुझपर करुणा करके, अपने पदपंकजों की धूरि मुझको दीजिए॥ (3) श्रवणभक्तिनिष्ठ मतिमान श्रीपरीक्षितजी, (२) कीर्तनभक्तिनिष्ठ वैयासको महासुमति परमहंस श्रीशुकजी, (३) सुन्दर स्मरण भक्तिनिष्ठ श्रीमहादजी, (४) भगवञ्चरण सेवन भक्तिनिष्ठा मानसवती महारानी कमला श्रीलक्ष्मीजी, (५) अर्चनपूजनभक्तिनिष्ठ श्रीपृथुजी, (६) वन्दनभक्तिनिष्ठ श्रीप्रकरजी, (७) श्रीसीतापतिदास्य भक्तिनिष्ठा दीधियुक्त कपीन्द्र श्रीहनुमानजी, (८) सख्यभक्तिनिष्ठ पृथापुत्र श्रीअर्जुनजी, (६) आत्मनिवेदनभक्तिनिष्ठाधारी श्रीवलिजी,

  • व्याससावक" व्यासजी के पुत्र परमहंस श्रीशुकदेवजी 11 "चन्दन" नमस्कार

मभिवादन । "सुफलकसुवन" =अक्रूरजी।+ "दीपत्ति" =दीप्ति, प्रकाश | x (ने) यह- राब्द पीछे से मिलाया है मूल में नही। नेता" के स्थान मे पाठान्तर नियन्ता भी है। "नेता" =प्रवर्तक प्राप्त करने वाले ॥