पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

P arineer+++++uparee भक्तिसुधास्वाद तिलक । चौपाई। "पुलक गात, हिय सियरघुवीरू । जीह नाम जप, लोचन नीरू ॥" तथा, श्रीहरिसहस्रनाम, युगलनाममंजरी, और भगवन्नामकीर्तन का पाठ करना नेमप्रेमपूर्वक केश सुधारने और वेणी सँवारने तथा सेन्दुर से भूषित करने के उपरान्त, वेन्दी, अरगजा, चन्दन, सुगन्ध, और तिलक, तिल, कस्तूरिविन्दु, दन्तशृङ्गार, सुरमा [काजल, अंजन, मुखराग [बीरी], इत्यादि, पुनि तिनके अनन्तर नाना मणि जटित स्वर्णाभरण पुष्पों के भूषण ॥भूषण विविध प्रकार के हैं और अनेक है,जैसे, चन्द्रिका, सीसफूल, मँगटीका, बँदनी, चूडामणि, वेसर, नथिया, कर्णफूल, बुलाक. कंठिका, चम्पाकली, झूमक, मुक्ताहार, पँचलरी, कंकना, चूड़ी, मुद्रिका. पहुँची इत्यादि। " कवित्तरामायण" "रविनयपत्रिका" तथा "३ श्रीमानसराम- चरित" और "४ नामतत्त्वभास्कर", "५. श्रीसीतारामनामप्रतापप्रकाश" में श्रीनाम प्रभाव देखना चाहिये । यहाँ केवल एक श्लोक लिखे देते हैं। श्लो. "कल्याणानां निधानं कलिमलमथनं पावनं पावनानां पाथेयं यन्मुमुक्षोः सपदि परपदमाप्तये प्रस्थितस्य । विश्रामस्थानमेकं कविवरवचसा जीवनं सज्जनानां बीजं धर्मद्रुमस्य प्रभवतु भवतां भूतये रामनाम ॥" चौपाई। “कहाँ कहाँ लगि नाम बड़ाई। राम न सकहिं नाम गुण गाई॥ दो० "राम नाम नर केसरी, कनक कशिपु कलिकाल । जापक जन प्रहलाद जिमि, पालहिं दलि सुरसाल ॥ बरषाऋतु रघुपति भगति, तुलसी सालि सुदास । राम नाम वर वरण युग, श्रावण भादों मास ।। राम नाम जो चित धरे, सुमिरे निशिदिन सोई। योग, यज्ञ, तप, व्रत, सकल, तेहि पटतर नहिं कोई ॥" ६.कर्णफूल-मन, तन, अन्न, धन, वचन से "हरिसेवा, तथा साधु सेवा ।" बाएँ कान का भूषण भगवत कॅकर्य को जानिये और दाहिने