पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/२५०

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२३१ ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० भक्तिसुधास्वाद तिलक । ( तामस) सात्त्विक १६४००० श्लोक १३ मत्स्यपुराण श्लोक १४०० | राजस ७४००० श्लोक १४ कूर्मपुराण , १७००० तामस १६२००० श्लोक १५ लिङ्गपुराण , ११००० जो ४,००,००० श्लोक १६ शिवपुराण २४००० चार लाख श्लोक १७ स्कन्दपुराण ८१००० १८ अग्निपुराण , १५००० १६२०००

  • (श्लोक) "वैष्णवं नारदीयश्च तथा भागवतं शुभम् । गारुडच

तथा पानं वाराहं शुभदर्शने ॥ १॥ षडेतानि पुराणानि सात्त्विकानि मतानि मे । ब्रह्माण्ड ब्रह्मवैवत्त मार्कण्डेयं तथैव च । भविष्यं वामनं बाझं राजसानि निबोध मे ॥ २ ॥ मात्स्यं कौम तथा लैङ्ग शैवं स्कान्द तथैव च । भाग्नेयश्च षडेतानि तामसानि निबोध मे ॥ ३॥" (१५४)(अठारह स्मृतियाँ और उनके १८ कर्ता) (१२०) छप्पय । (७२३) । दश् आठ स्मृति जिन उच्चरी, तिन पदसरसिज भालमो॥ मनुस्मृति, अत्रेय, वैष्णवी, हारितक, यामी। याज्ञवल्क्य, अंगिराँ, शनैश्चर, सामर्तक नामी ॥ का- त्यायनि, सांखल्यं, गौतमी, वासिष्ठी, दोखी । सुरगुरु, आतातापि (शातातप), पराशर, क्रतुं मुनि भाखी॥ आशा पास उदारधी, परलोकलोक साधनसो । दश आठ स्मृति जिन उच्चरी, तिन पदसरसिज भाल मो॥१८॥ (१९६) वात्तिक तिलक। अठारह स्मृतियाँ जिन महानुभावों ने कही हैं, उनके चरणकमल

  • कोई कोई तो "माहेश्वर" नाम का एक उपपुराण कहते है, "शिवपुराण" नही बताते,

बरच २४००० श्लोक का "वायुपुराण" लिखते है ।।

  • अठारहो पुराणो के श्लोको की गिन्ती चार लाख (४०००००) प्रसिद्ध ही है।