पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/२५१

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+ ++Hamrut + ne PAHATMAWA++++ श्रीभक्तमाल सटीक । मेरे भाल (ललाट) के भूषण हैं, सो वे स्मृतियाँ कैसी है कि पाशा- रूपी कठिन पाश (फाँस) के छुड़ाने के लिये उदार बुद्धि देनेवाली और लोक परलोक की साधनरूपा है-- १ मनुस्मृति, १० कात्यायनस्मृति, २ पात्रेयस्मृति, ११ सांखल्यस्मृति, ३ वैष्णवस्मृति, | १२ गौतमस्मृति, ४ हारीतस्मृति, १३ वाशिष्ठस्मृति, ५. याम्यस्मृति, १४ दाक्ष्यस्मृति, ६ याज्ञवल्क्यस्मृति, १५ बाईस्पत्यस्मृति, ७ आङ्गिरसस्मृति, १६ आतातपस्मृति, ८ शनैश्चरस्मृति, १७ पाराशरस्मृति, ६ सांवर्तकस्मृति। • | १८ तुस्मृति ॥ वशिष्ठ, हारीत, पाराशर, भारद्वाज, और काश्यप इत्यादिक कई एक स्मृतियाँ "सात्त्विकी” कही जाती हैं, आत्रेय, याज्ञवलय, दाक्ष्य, कात्यायनि इत्यादिक "राजस", एवं गौतम, वार्हस्पत्य, सांवत, याम्य इत्यादिक “तामस" कहलाती है। "दस पाठ स्मृति जिन उच्चरी” तिनके नाम--- १ श्रीमनुजी । १० श्रीकात्यायनजी २ श्रीभत्रिजी |११ श्रीशंखजी ३ श्रीविष्णुजी | १२ श्रीगौतमजी ४ श्रीहारीतजी १३ श्रीवशिष्ठजी, ५.श्रीयमराजजी १४ श्रीदवजी ६ श्रीयाज्ञवल्क्यनी १५ श्रीवृहस्पतिजी ७ श्रीअङ्गिराजी ११६ श्रीशतातपजी ८ श्रीशनैश्चरजी १७ श्रीपराशरनी श्रीसंवर्तजी १८ श्रीकृतुमुनिजी इन अठारह के अतिरिक्त और कई प्रसिद्ध स्मतियो । धर्मशास्त्री के नाम---- व्यास, आपस्तम्ब, श्रीगनस वा उगना (शुक्र), साडिल्य, भारद्वाज, काश्यप गर लिखित इत्यादि ।।