पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/२६७

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२४५ श्रीभक्तमाल सटीक । (१७२) जम्बूद्वीप के मक्का (१२७) छप्पय । (७१६) मध्यद्वीप नवखंड में, भक्त जिते, मम भूप॥ इलावत, अधीस संकर्षन, अनुगसदाशिव । रमनक, मछ,*मनु दास, हिरन्यं, कूरम, अर्जम इव ॥ कुरु बराह भूभृत्य, बर्ष हरि, सिंह, प्रह्लादा । किंपुरुष, राम, कपि,भरत, नरायन, बीना नादा ॥ भद्रासु ग्रीवहय, भद्रस्रव, केतुं, काम, कमला अनूप। मध्यदीप नवखंड में, भक्तजिते, मम भूप ॥ २५ ॥ (१८६) वात्तिक तिलक । मध्यदीप अर्थात् "जम्बूदीप" के नवो खण्डों में जितने श्रीभगवत् के भक्त हैं, वे सब मेरे राजा हैं, (मैं उन सबका सुयश कहनेवाला बन्दी हूँ)॥ नवोखण्डों के अधीश्वर भगवडूपों के, तथा उनके मुख्य भक्त सेवकों के नाम कहते हैं।(१) इलावर्तखण्ड के अधिपति भगवान श्रीसंकर्षण- जी हैं, और उनके सेवक श्रीसदाशिवजी हैं, (२) रमणकखण्ड के स्वामी श्रीमत्स्य भगवान और उनके भृत्य श्रीमनुजी (सत्यव्रत), एवं (३) हिरण्यखण्ड के अधीश्वर श्रीकूर्म भगवान, और उनके दास श्रीमयमाजी (४) कुरुखण्ड के पति श्रीवाराह भगवान और उनकी सेवा करनेवाली श्रीभूमि देवीजी, (५) हरिवर्षखण्ड के स्वामी, भगवान श्रीनृसिंहजी, और उनके भृत्य भक्तराज श्रीमहादजी (६) किम्पुरुषखण्ड के महाराज, स्वयं श्रीसीतापति रामचन्द्रनी, और आपके प्रियदास, कपिनायक-श्रीहनुमानजी हैं, (७) भरतखण्ड के पालक बदरिकाश्रमवासी श्रीनारायणजी और उनके पुजारी वीणा-नाद कारी श्रीनारदजी, (८) भद्राश्वखण्ड के ईश्वर श्रीहयग्रीव भगवान, भोर तृतीय दूना, नाम प्रथम से चौगुना है, एव चौथा प्रथम से आठगुना बड़ा है, पाचवा सोलहगुना, छठा बत्तिसगुना और सातवाँ ( पुष्कर ) द्वीपप्रथम ( जम्बूद्वीप से चासन गुना बड़ा है। प्रत्येक द्वीप मे शतावधि योजनका एक एक वृक्ष है, सो उसी के नाम से वह द्वीप भी पुकारा जाता है जैसे (१) जामुन, (२) पाकडि, (३) सेमर, कुश, इत्यादि का। ' "भछ" मत्स्य, मच्छ, मीन। "बीनानाद" श्रीनारदजी। "मध्यदीप" जम्बूद्वीप ।