पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/२७५

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+ + + ++ ++ + २५६ श्रीभक्तमाल सटीक । भवन के श्रीसीताशरणजी महाराज तथा छपरे जानकीनगर के वकील अयोध्यावासी श्रीदुर्गाप्रसादनी (जिनके पुत्र वाबू हरनारायणप्रसाद वकील हाई कोर्ट), और अपहर ग्राम के वकील बाबू श्रीसूर्यप्रसादजी वकील (जिनके आत्मज वाचू मदनमोहनसिंह मोदमणि कवि), गोदना श्रीअहल्यास्थान,इन सवजगहों में दर्शनी "श्रीयन्त्रराजजी विराजते हैं । __ “धन्य ते नर यहि ध्यान जे रहत सदा लवलीन ॥" प्रार्थना--पाठक महोदय ! "श्रीभक्तिरसवोधिनी" टीका कवित्तों की भाषा समझना इस दीन को अति कठिन है तिस पर तिलक लिखना तो और भी कठिनतर है- “बाल मराल कि मन्दर लेही" श्रीगुरुदेवों की ही कृपा से जैसा तैसा लिखा है, भूल न्यूक सन्जन सुधार लेंगे। इति पूर्वार्द्ध सतयुग त्रेता द्वापर पर्यन्त, ( दोहे ४, छप्पय २३, मूल २७ टीका कवित्त १०५ जोड़ १३२) 7FOTal S.R.S B.P. RK