पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/२७६

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- - - -श्रीः- श्रीसीताराम श्रीहनुमते नमः । श्रीमते रामानन्दाय नमः । श्रीप्रेम- निधये नमः । श्रीचन्द्रकलायै नमः । श्रीश्यामनायि- ___ कायै नमः । श्रीहंसकलायै नमः ॥ अथ श्रीभक्तमाल सटीक (तथा सतिलक) - अथ उत्तराई (कलियुग भक्तावली, विक्रमीय सत्रहवीं शताब्दी तक) (१३३) छप्पय ! (७१०) चौबीस प्रथम हरि बघु धरै*, त्यों चतुर्ग्रह कलियुग गट ॥ "श्रीरामानुज" उदार, सुधानिधि, अवनि कल्प- तरु। "विष्णु स्वामि" बोहित्थ सिन्धुसंसार पार करु । "मध्वाचारज" मेघ भक्ति सर ऊसर भरिया। "निम्बा- दित्यं” आदित्य कुहर अज्ञान जुहरिया ॥जनम करम भागवत धरम सम्प्रदाय । थापी अघट । चौबीस

  • "बपुधरे' अवतार लिये, अवतीर्ण हुए, प्रगटे।

"थापी' स्थापित किया ।