पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/३१

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भाव अनुभाव सात्विकभाव। अनभान जिन व्यभिचारी स्थायीभाव विपयालम्वन आश्रयालम्बन उद्दीपन भाव १ रोमाच "वात्सल्य" | दाशरथी, श्रीकोगल्या नन्दवर्धक, बालक रामललाजी, सियाबर सीतापति, महाराज- कुमार, सुकुमार लालजी, रामजी। अम्बा मीठे श्रीकोशल्या तोतरे २ | महारानीजी, वचन, म०श्रीदशरथजी, बुलाक, | अम्बाश्रीमुनयना धुंधुरू |जी महारानी, | कालाबिन्दु, | अम्बाथी बाललीला, भुमियाजी, भोलापन, सरलता। खिलाना, लाइ, दुलार, | खेलौने देना, जन्मोत्सव &c ३ प्रलय ४ स्वेद ५ विवर्ण कम्प ७ अथु ८ स्वरभग (SSRS B P RK) अगताप कृगता, जागरण, आलबन शून्यता, आवृति, उन्माद, मूर्धा, प्रहर्प, मृत्यु श्रीरामलाल जी मे अलोल मन ।। | "मुतत्रिफ्यक हरिपद रति होऊ॥" श्रीभक्तमाल सटीक ।