पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/३२

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. . - - - --- विभाव व्यभिचारी अनुभाव | सात्विकभाब स्थायीभाव विषयालम्बन | आश्रयालम्बन उद्दीपन भाव "दास्य" रस श्रीहनुमत, | श्रीप्रहलाद, ब्रह्माजी, | शिवजी, भक्त, | मात्र, सन्त, नारदादि, सर्वेश्वर, भक्तवत्सल, दीनदयालु, सेवकसुखद, ब्रह्म, सेव्य, सच्चिदानन्द, जगदेकत्राता, व्यापक, श्रीसीतापति, श्रीराम भद्र, पतितपावन, अशरणशरण, अधमोद्धारण, करुणायतन, अविरल भक्ति , तैलधारावत् स्मरण, प्रेम, आज्ञा, पालन, तुलसीकठी, तुलसीमाला, ऊर्ध्वपुण्ड्र, ५ सस्कार, भक्ति , भजन, सेवा, १ रोमाच | २ स्तम्भ ३ प्रलय |४ स्वेद ५ विवर्ण ६ कम्प ७ अश्रु ८ स्वरभग गरण सुखदता, सेवक प्रियत्त्व, अनन्यवत्सलता (S.S. RS. B. P. R. K.) भजन, सेवा, चितघड़क, | दुर्बलता, रगविकार, विराग, मुर्छा, व्याधि, उन्माद, स्तम्भ प्रहर्ष, मृत्यु, पूजा, अची, स्तुति, भक्तिसुधास्वाद तिलक । १७