पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/३१२

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MmprintHN H O Mero-b-IMANNA भक्तिसुधास्वाद तिलक । तपस्वीरामजी कृत "रमूजे मिहोवफा" से लेके संक्षेपता से यह कथा लिखी गई है। श्लोक-नम श्राचार्यवाय रामानन्दाय धीमते॥ मोक्षमार्गप्रकाशाय चतुर्वर्गप्रदाय च ॥१॥ पाखण्डेल विदूषितान्स्वविमुखालावाङ्गलो वै जनाच तत्कल्याणपरः कृपापस्वशः साकेतवासी स्वयम् ॥ रामानन्दसुसंज्ञया मजने श्रीपुण्यसादिजा- जातस्तं विनमामि नारदयुतं श्रीरामचन्द्रं हरिम् ॥ २ ॥ श्रीपुण्यसदनस्तातः सुशीला जननी तथा ॥ यस्यासीद्रामानन्दं तं जगद्गुरुं नमाम्यहम् ॥ ३ ॥ सो. रामभक्ति दातार, ज्ञान विराग विधायनी। सुनतहि भली प्रकार, सुखद मोह तमहारिनी ॥ (कथा) चौपाई। बहुत काल वपु धारण कीन्हे । भू मह भक्ति भाव भर दीन्हे ॥ संवत् । गतकलि ईसवी सन् | | आपका विक्रमी परधाम गमन १४६७ ४५११ १४११ । वैशाख शुक्ल तृतीया पृथ्वी पर आप १११ वर्ष पर्यन्त विराजमान रहे। श्लोक-वेदाङ्गेन्दुधरासंख्ये (११६४) वर्षे वैकमराजके । श्रीमद्रामानुजाचार्यों हन्तर्धानमगात्स्वयम् ॥ १॥ श्रीमविक्रमवत्सरेऽश्वरसवारीशेन्दुसंख्ये (१४६७) धरा त्यक्त्वा माधवमासके सुदि तृतीयायां तिथावुज्ज्वलम् ॥ धर्म भागवतं विमुक्तिफलकं विन्यस्य जीवेषु वै रामानन्दसुदेशिकस्समगमत्साकेतलोकं परम् ॥२॥ "बहुत काल" | जिनकी आयु १६ ही वर्ष की अवस्था में पूर्ण हो चुकी थी सो महामुनि यदि १११ वर्ष विराजमान रहे तो "बहुत काल" इसको कहने में शंका ही क्या? "प्रसिद्ध ही है कि आपका समय सिकन्दर लोदी ( १४१५ ईसवी) से पूर्व था ।