पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/३१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. l ahari भक्तिसुधास्वाद तिलक । २९५ __ श्राप अभक्तों से कभी वार्तालाप (वरन् चार आँखें भी) नहीं करते थे, परन्तु इतने पर भी, यदि भक्ति भाव देखते बूझते थे चाहे किसी जाति में क्यों न हो तो उसका बड़ा ही आदर करते थे। श्रीकाशीजी में आपकी खड़ाऊ श्रीपंचगंगाघाट पर अभी तक विराजमान हैं। "आपने श्रीगंगासागरसंगम कपिलदेवस्थान को प्रगट किया जो लुप्त हो गया था। दो० रामानन्द उदारअति, कलिमलनाशनहार । सेक्त भक्तिसमेतशुभ, भुक्ति मुक्तिदातार।। आचारजवरदिगविजय, जनसूनहिंसप्रेम | विजयविभति विवेकते, लहहि भक्तियुतक्षेमा। चौपाई । अस प्रभु जगपावन वपुधारी । कृपासिन्धु दासन हितकारी ।। ___ ताते तासु जन्म दिन माहीं। जन्म महोत्सव रचे उछाहीं ॥ श्रीअयोध्यावासी प्रायः श्रीरामानन्दीय हैं ही, और अनेक जगहों में अापका व्रत तथा उत्सव होता ही है, तथापि श्रीसीतारामकृपा से (१) श्रीकनकभवन के परमहंस श्री ६ सीताशरणजी महाराज, (२) श्रीअवधभूषण पण्डित श्री ६ रामवल्लभाशरण महाराजजी, जानकी घाट (३) और श्रीरामकोट जन्मस्थान में, इन तीनों स्थानों में श्रीरामा- नन्दजन्मोत्सव विशेष करके होता है। श्रीरामानुजजी श्रीरामानन्दजी .. जन्म परधाम जन्म परधाम विक्रमीय १०७४ ११६४ १३५६ संवत् ईसवी सन कितने वर्ष १२० विराजे १९६२ पर्यन्त ८८८ | कितने वर्ष दोनों प्राचार्यों के बीच अन्तर १६२ वर्ष । - -