पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/३१५

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श्रीभक्तमाल सटीक! mang - +- +-+H tude n ia - 4 १.श्रीसीतारामजी ११. श्रीविनोदानन्दजी २, श्रीहनुमंतजी १२. श्रीधरनीदासजी ३, श्रीराघवानन्दाचार्य १३. श्रीकरुणानिधानजी स्वामीजी १४.श्रीकेवलरामजी ४. भगवान रामानन्दजी १५. श्रीरामप्रसादीदासजी ५. भगवान रामानन्दजी १६. श्रीरामसेवकदासजी परसा ६.श्रीसुरसुरानन्दजी १७. स्वामी श्री १०८ रामचरण- ७.श्रीबालियानन्दजी दासजी महाराज ८.श्रीसेउरियास्वामीजी १८.सीतारामशरण भगवान- ६. श्रीविहारीदासजी । प्रसादजी १०. श्रीरामदासजी (वना०सि०) (२) मुन्शी श्रीतुलसीरामजी तथा श्रीप्रतापसिंहजी ( और H.H. Wilson आदिक अंग्रेजों) ने श्री १०८ रामानन्द स्वामीजी को श्रीरामानुज स्वामीजी से "पाँचों" ही लिखी है, अर्थात"(१) श्रीरामानुज स्वामी (२)श्रीदेवाचार्यजी (३) श्रीहरियानन्द (प्रधानानन्दजी (४)श्रीराघवानन्दजी और (५) अनन्त श्रीरामानन्द स्वामीजी" और बीच के महानुभावों के नामों को उन्होंने छोड़ दिया है। (३)अनन्त श्रीरामानन्द भगवान् के जन्म का समय तो अनेक (आठ, नव) ग्रन्थों में पाया जाता है, परन्तु आप कितने दिन संसार में विराजे ? कब परमधाम को गए ! कठिनता यदि है तो इसी के ठहराने मे ।। (४) आपके पिता का नाम श्रीरामानन्द यशावली मे "श्रीभरिकर्माजी" लिखा है। भूरिकर्मा, तथा "पुण्यसदन" (श्रीअगस्त्य संहिता) एक ही बात है। (५) श्रीअगस्त्यसंहिता और भविष्यपुराण की कथा की तो इस प्रकार से एकत्ता हो जाती है कि सूर्यमण्डल के अन्तर श्रीरामजी विराजे हैं ही। श्लोक-"सूर्यमण्डलमध्यस्थं राम सीतासमन्वितम् । नमामि पुण्डरीकाक्षम मेयं गुरुतत्परम् ॥१॥ इससे, सूर्यम'डल ही से जन-हृदय-तिमिर-नाशक श्रीरामाश अवतार हुआ और काशी से जन्मस्थान की भिन्नता योनही कि श्रीकाशीजी मे श्रीगुरुशरणागत होने से अपर जन्म ही जानिये क्योंकि ऐसा कहा ही जाता है। अर्थ विचार से "देवल" तथा पुण्यसदन (भरिकर्मा) की एकता भी भानिये । शंका न कीजिये। दोनों ग्रन्थों (श्रीअगस्त्यसंहिता तथा भविष्यपुराण) की कथा एक ही समझिये ॥ (१३) महामुनि श्रीदेवाधिपाचार्य स्वामी। महामहिमायुक्त श्रीदेवाचार्य महाराजजी एक समय श्रीकाशी यात्रा के मार्ग में किसी ग्राम में एक वृक्ष के समीप दशमस्कन्ध