पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/५१

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श्रीभक्तमाच सटीक । Heartmentaraamanantarvanamametune Nat+pramanarasana आप वस्तुतः अगर हैं, जिनसे "नाभा ® रूप चोमा हुए कि जिन नाभा ("नाफा)का “भक्तमाल” ऐसा 'सुगन्ध फैल रहा है ॥ भागवतधर्माचरण के प्रसिद्ध तथा प्रधान आधार “भक्कमाल" की क्या बात है । इस आदरणीय अन्य का अनुवाद केवल महाराष्ट्री, बङ्गला, झारसी, उर्द, इङ्गरेजी भादि अनेक प्राकृत भाषाओंमात्र में ही नहीं, वरंच देववाणी (संस्कृत) में भी हो गया है । यह तो ठीक ही है कि इस अन्ध ( भक्तमाल) में प्रायः दश सौ से अधिक भक्तों के नाम हैं, अर्थात् सतयुग त्रेता दापर के अतिरिक्त कलियुग के-- हिन्दू महाराजाओं के ४२६६ वर्ष के. तथा मुसल्मान बादशाहों के ४४४ वर्ष के, कलियुग के ४७४० वें वर्ष पर्यन्त के महात्माओं के (सम्वत् १६६६, सन् १६३६ ईसवी,) तथा (विक्रमी सत्रहवीं शताब्दि तक के), कि जिस समय को आज ( 1903 ) *, २६४ वर्ष हुए। ___ गोस्वामी श्री ६ नाभाजी के भक्तमाल” के अनुवाद और टिप्पणी तथा टीकाएँ भी, अपनी अपनी चाल पर, भनेक हो चुकी हैं- प्रथाके" शब्द का अर्थ । एक एक रंग के पांच सात फूलों का समूह एकत्रित, ऐसे समूहों को "थाके" कहते है। जैसे गुलाबी वा लाल पुष्पों का एक थाका, ऐसे ही, पीले, हरे, श्वेत, श्याम तुलसी दलों फलों के विचित्र थाके ।। ऐसे पंचरंगे थाकाओ से मालाएं रची जाती है, यह प्रसिद्ध ही है।

  • नाभाजी "नभोभूज" का अपभ्रश है । नाफा (कस्तूरीवाला)
  • कलियुगीय सवत्सर ५००४-विक्रमीय संवत् १९६० सन् १९०३ ईसवी ॥