पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/५२

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भक्तिसुधास्वाद तिलक। Pimena+++++ ++uarante e r+HHAMA- Marting उनके कर्ताओं के नाम भक्तनामावलियों के नाम गिनती »rr9 oner orror orar orrorror mm - .-- 1 १७६९ भक्तिरसबोधिनी टीका श्रीप्रियादासजी २१८०० भक्तिउरवशी (अनुवाद) लालचन्द्रदास | ३|१८०० भ० म. टिप्पनी (श्रीकाशी निम्बाकसम्प्रदायी श्री १९२३ लखनऊ १९५२, वृन्दावनवासी वैष्णवदास बम्बई १९५७ में छपी है) ८ (फारसी) मुशी गुमानीलाल साहिब गुरुमुखी भक्तमाल कीतिसिंहजी ६/१९११ | भक्तिप्रदीप (२४ निष्ठा) उर्दू श्रीतुलसीराम साहिब ७ १९५८ | भक्तकल्प द्रुम (२४ निष्ठा) | प्रतापसिंहजी ८/१९२१ रामरसिकावली (चौपाईदोहे) | राजा रघुराजसिंहजी, रीवां ९/१९२५ / रसिकभक्तमाला श्रीयुगलप्रियाजी (चिरांद) १०, १९३० भक्तमालछप्पय श्रीहरिश्चन्द्रजी भारतेन्दु, प्रेमी Mu " श्रीतपस्वीरामजी सीतारामीय हरिभक्तिप्रकाशिका पं० ज्वालाप्रसाद मिश्रजी भक्तनामावली श्रीध्रुवदास श्रीराधाकृष्णदास, "श्रीकाशी १९५८ | भक्तनामावली नागरीप्रचारिणी सभा" १५/१९६५ भक्तमाल का इंग्रेजी खर्रा श्रीभानुप्रताप तिवारी, चनार, Gleanings Sir George Grierson,I.C ! S, CIE,MR.AS.C इनमें भक्तों के निवासस्थान देश तो प्रायः वर्णित है, परन्तु उनके जन्मादि के कान की चरचा पाई नहीं जाती। हां इस बात के अनुमान तथा अनुसन्धान की भोर महाशयों की दृष्टि तो अवश्य ही गई है (१) प्रेमीवर भारतेन्दु श्रीहरिश्चन्द्रजी (२) 'प्रेमगंगतरंग" "रुमूजे मिहरो वफा" और "वकाए दहली" इत्यादिक के कर्ता श्रीतप- स्वीगमजी सीतारामीय (३) श्रीराधाकृष्णदासजी बनारस, (४) "दि मारन वनाक्युलर लिटरेचर भन हिदुस्तान” के कर्ता सर जार्ज प्रियर्सन साहिब वहादुर ।। तथापि, किसीको उनकी तारीखें मिली नहीं। तो जिन वार्तामों की टोह ऐसे २ एतिहामिक तत्त्वरमिक अनुमन्धान- कर्ताओं को न मिची, उन बातों में इस दीन का हस्तक्षेप भला कर फलदायक होना मम्भव ?