पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/५३४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

MIRHATH up I MIRMANIdead- -AMRPAGAINMOHAMubie- IIMMINIMINATrea- भक्तिसुधास्वाद तिलक । और वह मोतीमाला पूजा चढ़ा श्रीमहाराजजी से शिष्य हो गई। (३) एक दिन एक देवीउपासक ब्राह्मण ने श्रीपीपाजी का, और गाँव भर का न्योता किया, पर आप न गये, और विशेष प्रार्थना पर यह उत्तर दिया कि “जहाँ श्रीसीतारामसम्बन्ध नहीं वहाँ मैं नहीं जाता माता, परन्तु यदि ऐसा करो तो चलूँ कि देवी को भोग धरने के पूर्व ही सब अमनियों में से श्रीसीतारामजी के पास पहुँचाओ।" इसी के अनुसार हुआ, और श्रीमहाराजजी ने सन्तों सहित भगवत्- प्रसाद पाया। रात को देवी ने ब्राह्मण से कहा कि “मैं आज भूखी ही रही, भगवतपार्षदों ने मुझे मन्दिर से बाहर निकाल दिया।" विप्र देवता की आँखें खुली, भोर ही था श्रीपीपाजी से शिष्य परिवार समेत हुए। (४) शिष्य होते ही गाँव भर देवी की पूजा बोड़ श्रीसीतारामभक्त हो गया। (५) एक दिन एक रूपवती तेलिनि “तेल लो। तेल लो।"पुकारती हुई प्रा निकली, श्राप बोल उठे कि "तुझ सुन्दरी को "तेल तेल" नहीं भला लगता, तेरे मुँह से तो “सीताराम सीताराम" अनुरूप होता।" दो० "हे सुन्दरि । तब चाहिये, शब्द रूप अनुकूल । तेल धार अवछिन्न रटु, सरस "राम" सुखमूल ॥" तेलिनि बोली "वह तो विधवा कहती हैं वा मुए पर कहा जाता है।" आपने कहा कि “भला, तू भी तभी कहना ॥" घर आई कि उसका पति भीतर जाने लगा कि नासिका में चौ- खट लगी और गिरकर मर गया, तब उस तेली की देह लेकर सब चले और तेलिनि भी सत्य राम सत्य राम कहती सती होने चली। श्रीपीपाजी ने आके कहा कि अब तो राम राम कहती है ?" तब चरणों पर पड़के कहने लगी “बापही ने मेरे पति को मार डाला!" रोती पीटती हाय राम हाय राम चिल्लाती श्रीपीपाजी महाराज से कहके सिर धुनने लगी। आपने अाज्ञा की "यदि तेरा पति जी उठे तो तुम दोनों श्रीसीताराम श्रीसीताराम जपना, श्रीरामचरित सुना करना।" उसने कहा "बहुत अच्छा।" तेलिनि ने घर पहुँच.