पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/६५

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Himanimum-DHARHAALHARMAmeriANINMENa 1018 HIMini ४८ श्रीभक्तमाल सटीक 1 अपने निज भक्तान सहित रुचिर लीला मेरे हृदय में प्रकाश कीजिये। और हे गुरुदेव श्रीअग्रदासजी इन चौबीस अवतारों के साथ आप भी अपना २ पदसरोज मेरे हृदय में रखिये ॥ स्वामी श्रीअग्रदासजी कृत यह छप्पय मंगल हेतु श्रीनाभाजी ने यहां खा अथवा आपही ने गुरुका नाम छाप दिया हो । गिन्ती मास समय ह 22 | तिथि अवतारो जिस देश में । अवतीर्ण हुए नाम उसका नाम । १ मत्स्य । कृतम० शु० | ११| प्रात प्रात. पुष्पभद्रा २ । कच्छप कृत आ० ० ३ | प्रात समुद्र ।। ३ शूकर | कृत भा० शूकर | भा० शु० हरिद्वार नसिंह मध्याह्न । कृत मध्यान्ह कृत पजाब मुलतान वागन वेता / भा० शु० / १२ / मध्यान | वेता भा० १२ मध्याह्न प्रयागजी ६ परशुराम त्रेता ३ | मध्याह्न यमुनिया ग्राम ७ श्रीरघुपति त्रेता शु० ९ | मध्याह्न | श्रीअयोध्याजी द्वापर | भा० श्रीकृष्ण कृ० ८ अर्द्धरात्रि| मथुराजी | ९ । बुद्ध द्वापर पू० शु०७ प्रात गया (कीकट) | १० | कल्कि । कलि भा० शु० | ३ सम्बल ग्राम ज्ये प्रसिद्ध "दश" अवतार हैं। दो दुइ वनचर, दुइ वारिचर, चार विभ, दो राउ । तुलसी दश यश गाइके, भवसागर तरि जाउ। मुरादाबाद कल्पभेद से तिथियो में भी कही कही कभी कभी भेद पाया जाता है ।।