पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/६७५

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........... . NIH ... +HHH. .- श्रीभक्तमाल सटीक । सब मुझ पर दयादृष्टि कीजिये । और कृपाकर मेरे सीस पर अपने चरण- कमल रखिये॥ १ श्रीरघुनाथभक्तजी १२ गोविन्दभक्तजी २ श्रीगोपीनाथभक्तजी १३ मुरलीश्रोत्रीजी ३ श्रीरामभद्रभक्जी १४ हरिदासमिश्रजी ४ दासूस्वामीजी १५ भगवानभक्तजी ५ गुंजामालीजी १६ मुकुन्दभक्तजी ६ चित्तउत्तमजी १७ केशवदंडवतीजी ७ बीठलजी १८ चतुर्भुजजी ८निष्कामभक्तमरहठजी १६ चरित्रभक्तजी ६ यदुनंदनभक्तजी २० विष्णुदासजी १० दूसरे रघुनाथभक्तजी २१ वेनीभक्तजी ११ रामानन्दभक्तजी ! “भगवान" नाम के कई भक्त हुए है ।। (१३६।१३७) श्रीगुंजामालीजी और आपकी पुत्रवधू (५१८) टीका । कवित्त । (३२५) कही नाभा स्वामी श्राप, गायो मैं प्रताप संत बसे ब्रज बसें सो तो महिमा अपार है । भये गुंजामाली "गुंजा" हार धारि नाम पखौ, कस्यौ वास “लाहौर मैं" आगे सुनौ सार है॥ सुतवधू विधवा सो बोलि के सुनायो "लेहु धनपति गेह श्रीगोपाल भरतार है । देवौ प्रभुसेवा,” माँगे नारि बार बार यहै डार सब वारि यापै गर्ने जग छार है ।।४१५॥ २१४) वात्तिक तिलक। आप श्रीनाभास्वामीजी ने उन संतों का प्रताप कहा, सो मैं भी गान करता हूँ कि जो भक्त श्रीब्रज में बसे और बसें उनकी महिमा अपार है । गुंजा (चौटली, धुंधची) की माला धारण करने से गुंजा माली नाम पड़ गया, आप लाहौर में हुए, आपकी सारांस कथा भागे सुनिये । आपकी पुत्रवधू (पतोहू) विधवा हो गई, आपने उसको बुलाके कहा कि “पतोहू । तुम यह अपने पति का