पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/७८८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भक्तिसुधास्वाद तिलक । करामात जग ख्यात सब मात किये," कही "झूठ बात एक राम पहिचानिये" ॥ ५१५॥ (११४) तिलक। जब आपकी कृपा से ब्राह्मण जी उठा तब चारों ओर सुयश फैल गया। इस बात को दिल्लीपति Add tradiyase- ने भी सुनके, आपका दर्शन करने के लिये, दूतों को काशी के सूबादार के पास भेजा कि "जिन साधु ने मेरे ब्राह्मण को जिला दिया है, उनको यहाँ भेज दो।" उस सूवादार ने श्रीगोस्वामीजी के समीप पाकर प्रार्थना की कि "बादशाह आपका दर्शन किया चाहते हैं, कृपा करके सुखपूर्वक चलिये । महाराज ने बहुत प्रकार से विनय किया है।" आपका बुलाना सुन यहाँ के बहुत से राजा सेवक लोगों ने कहा कि “स्वामी- जी। हम सबों को शंका होती है, आप मत जाइये, आपके अर्थ में जो हम सबों के प्राण लगें तो हम युद्ध में दे सकते हैं।" सुनके आपने बाबा दी कि “कोई शंका की बात नहीं है, हम जाके मिल पावेंगे।" आप सबको समझाके श्रीगंगाजी में नौका पर चढ़ प्रयागजी आये, वहाँ से श्रीयमुनाजी में नौका पर चले, मार्ग के लोगों को दर्शन देते, कृतार्थ करते, दिल्ली में यवनराज के समीप गये । वह उठकर खड़ा हो बड़े उच्च प्रासन पर विराजमान कर मृदुवानी से बोला "आपने मरा मनुष्य जिवा दिया है यह बात सारे संसार में वि- ख्यात हो गई है, इससे मुझको भी करामात दिखाइये।" श्रीगोस्वामीजी ने उत्तर दिया “करामात, अजमत आदिक झूठी बात हम एक भी नहीं जानते, केवल श्रीरामजी को जानते मानते भजते हैं।" (६४५) टीका । कवित्त । (१९८) "देखें राम कैसौ” कहि, कैद किये, किये हिये "इजिये कृपाल हनुमानजू दयाल हो।" ताही समै फैलि गए, कोटि कोटि कपि नये, लोचे तन सोचें वीर भयौ यो विहाल हो ॥ फोरें कोट, मारें चोट किए डार लोट पोट, लीजै कौन ओट जाय मान्यौ प्रलय- "कैद" वन्दीघर में रखना।