पृष्ठ:श्रीभक्तमाल.pdf/९७९

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गीत श्रीभक्तमाल सटीक । । [३९] दीनता, नम्रता (वस्तुतः), विनय, [५८] धीरता गम्भीरता भारीपन कार्पण्य [५९] विगतसन्देह होना [४०] मद, मान, अभिमान छोड़ना (मन | [३०] पर गुण सुनकर हर्षित होना वचन कर्म से ) | [६१] सव पर समदृष्टि, समता . [४१] क्रोध छोडना, क्षमा और सहन- [६२] भागवत जत किया करना शीलता धारण करना [६३] दम, [६४] नियम और[६५] संयम [४२] लोभ से बचना,और संतोष धारण; [१६] मृत्युकाल को न भूलना प्रसन्नता ([६७] अमूल्य समय को न खोना [४३] विषयवासनात्याग, “निष्कामता, [६८] श्रद्धा [६९] अमाया निर्मलता [७०] कुपथ को छोड़ना [४४] परनारी को नागिनी सी देखना, [[७१] सुपथ चलना और [७२] चलाना कलंकमूल जानना [४५] परवित्त को विपवत् जानना [७३] दास्यनिष्ठा [४६] दम्भ नहीं ( मन कर्म वचन ) | [७४] शृंगारनिष्ठा (४७] अहिसा, कर्म मम वाणी से | [७५] निर्जन एकान्तप्रियता [४८] दया, करुणा, कृपा, छोह [७६] माधुर्य्य-ऐश्वर्य, दोनों [४९] सच्चा बर्ताव {५०] सत्य वचन ( प्रिय करके ) [७७] सख्यनिष्ठा [५१] कुतर्कहीनता [७८] सौहार्दनिष्ठा [५२] मोहपरित्याग [७९] बात्सल्यनिष्ठा [५३] भक्तिपक्ष का आश्रय [२०] अपने को जगत्पिता माता का पुत्र [५४] शोच-विचार-विवेक मानना [५५] अनघता, पाप से डर [५६] जितेद्रियता और मितभोगिता [८१] भजन में चित्त अचंचल, तथा धर्मानुकूल मन को स्वाद और आनन्द आना [५७] मानदाता अर्थात् औरों को मान | {८२] पवित्रता, शौच, शुद्ध अन्त करण देचा कर्म व मन ... होना