पृष्ठ:श्रीमद्‌भगवद्‌गीता.pdf/३३६

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श्रीमद्भगवद्गीता ! संसारस्य निनिमित्तत्वे अनिर्मोक्षवप्रसङ्गात् तथा संसारको विना निमित्तके उत्पन्न हुआ मानने- शास्त्रानर्थक्यप्रसङ्गाद् बन्धमोक्षाभावप्रसङ्गात् से उसके अन्तके अभावका प्रसंग, शास्त्रकी व्यर्थताका प्रसंग और बन्ध-मोक्षके अभावका प्रसंग प्राप्त होता है, (इसलिये भी उपर्युक्त अर्थ ठीक नहीं है।) नित्यत्वे पुनः ईश्वरस्य प्रकृत्योः सर्वम् पस्तु ईश्वरकी इन दोनों प्रकृतियों को नित्य एतद् उपपन्नं भवेत् । मान लेनेसे यह सब व्यवस्था ठीक हो जाती है। कथम्- कैसे ? (सो कहते हैं )- विकारान् च गुणान् च एव वक्ष्यमाणान् विकारोंको और गुणोंको तू प्रकृतिसे उत्पन्न जान अर्थात् बुद्धिसे लेकर शरीर और इन्द्रियों- विकारान् बुद्धयादिदेहन्द्रियान तान् गुणान् तक अगले श्लोकमें बतलाये हुए विकारोंको तथा च सुखदुःस्वमोहप्रत्ययाकारपरिणतान् विद्धि सुख दुःख और मोह आदि वृत्तियोंके रूपमें परिणत हुए तीनों गुणोंको, तु प्रकृतिसे उत्पन्न जानीहि प्रकृतिसंभवान् । प्रकृतिः ईश्वरस्य विकारकारणशक्तिः अभिप्राय यह है कि विकारोंकी कारणरूपा जो त्रिगुणात्मिका माया सा संभवो येषां विकाराणां ईश्वरकी त्रिगुणमयी मायाशक्ति है उसका नाम प्रकृति है, वह जिन विकारों और गुणोंको उत्पन्न करने- गुणानां च तान् विकारान् गुणान् च विद्धि वाली है, उन विकारों और गुणोंको तू प्रकृति- प्रकृतिसंभवान् प्रकृतिपरिणामान् ॥१९॥ जनित----प्रकृतिके ही परिणाम समझ ॥१९॥ हुए जान। के पुनःते विकारा गुणाः च प्रकृतिसंभवाः- प्रकृतिसे उत्पन्न हुए वे विकार और गुण | कौन-से हैं ? कार्यकरणकर्तृत्वे . हेतुः प्रकृतिरुच्यते । पुरुषः सुखदुःखानां भोक्तृत्वे हेतुरुच्यते ॥ २० ॥ कार्यकरणकर्तृत्वे कार्य शरीरं करणानि कार्य शरीरको कहते हैं, और उसमें स्थित तत्स्थानि त्रयोदश। (मन, बुद्धि, अहंकार तथा दश इन्द्रियाँ ये) तेरह करण हैं । इनके कर्त्तापनमें ( हेतु प्रकृति है) देहस्य आरम्भकाणि भूतानि विषयाः च शरीरको उत्पन्न करनेवाले पाँच भूत और शब्द प्रकृतिसंभवा विकाराः पूर्वोक्ता इह कार्यग्रहणेन आदि पाँच विषय ये पहले कहे हुए प्रकृतिजन्य दश विकार तो यहाँ कार्यके ग्रहणसे ग्रहण किये गृह्यन्ते, गुणाः च प्रकृतिसंभवाः सुखदुःख- जाते हैं और सुख-दुःख मोह आदिके रूपमें परिणत हुए प्रकृतिजन्य समस्त गुण बुद्धि आदि मोहात्मकाः करणाश्रयत्वात् करणग्रहणेन करणोंके आश्रित होनेके कारण करणोंके ग्रहणसे गृह्यन्ते ग्रहण किये जाते हैं।