पृष्ठ:श्रीमद्‌भगवद्‌गीता.pdf/३३८

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३२.२. श्रीमद्भगवद्गीता अतो यत् प्रकृतिपुरुषयोः कार्यकरणकर्तुत्वेन इसलिये प्रकृति के कार्य-करण-विषयक कर्तापन और पुरुपके सुख-दुःस्य-विषयक भोक्तापनको लेकर सुखदुःखभोक्तृत्वेन च संसारकारणत्वम् उक्तं जो उन दोनोंका संसार-कारणत्व प्रतिपादन किया तद् युक्तम् । गया, वह उचित ही है। कः पुनः अयं संसारो नाम, पू०-तो यह संसारनामक वस्तु क्या है ? सुखदुःखसंभोगः संसारः पुरुषस्य च उ०-सुख-दुःखोंका भोग ही संसार है और सुखदुःखानां संभोक्तृत्वं संसारित्वम् पुरुपमें जो सुख-दुःखोंका भोक्तृत्व है, यही उसका इति ॥ २० ॥ संसारित है। २०॥ यन् पुरुषस्य सुग्वदुःखानां भोक्तृत्वं यह जो कहा कि सुख-दुःखोका भोक्तृत्व ही संसारित्वम् इति उक्तम् तस्य तत् किंनिमित्तम् पुरुषका संसारित्व है, सो वह उसमें किस कारणसे इति उच्यते- है ? यह बतलाते हैं-- पुरुषः प्रकृतिस्थो हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान्गुणान् । कारणं गुणसङ्गोऽस्य सदसद्योनिजन्मसु ॥ २१ पुरुषो भोक्ता प्रकृतिस्थः प्रकृती अविद्या- क्योंकि पुरुष-जीवात्मा प्रकृतिमें स्थित है लक्षणायां कार्यकरणरूपेण परिणतायां स्थितः अर्थात् कार्य और करणके रूपमें परिणत प्रकृतिस्थः प्रकृतिम् आत्मत्वेन गत इति एतद् | अविद्यारूपा प्रकृतिमें स्थित है:-प्रकृतिको अपना हि यस्मात् तस्माद् भुङ्क्ते उपलभते इत्यर्थः । स्वरूप मानता है, इसलिये वह प्रकृतिसे उत्पन्न हुए प्रकृतिजान् प्रकृतितो जातान् सुखदुःख-सुख-दुःख और मोहरूपसे प्रकट गुणोंको 'मैं सुखी मोहाकाराभिव्यक्तान् गुणान् सुरखी दुःखी मूढः । हूँ, दुःखी हूँ, मूढ हूँ, पण्डित हूँ' इस प्रकार मानता पण्डितः अहम् इति एवम् । हुआ भोगता है अर्थात् उनका उपभोग करता है । सत्याम् अपि अविद्यायां सुखदुःखमोहेषु यद्यपि जन्मका कारण अविद्या है तो भी गुणेषु मुज्यमानेषु यः सङ्ग आत्मभावः भोगे जाते हुए सुख-दुःख और मोहरूप गुणोंमें संसारस्य स प्रधानं कारणं जन्मनः स यथा जो आसक्त हो जाना है-तद्रूप हो जाना है, वह | जन्मरूप संसारका प्रधान कारण है। वह जैसी कामो भवति तत्क्रतुर्भवति' (बृ० उ० ४।४।५)! कामनावाला होता है वैसा ही कर्म करता है' इत्यादिश्रुतेः। इस श्रुतिसे भी यही बात सिद्ध होती है। तद् एतद् आह कारणं हेतु गुणसङ्गो गुणेषु | इसी बातको भगवान् कहते हैं कि गुणोंका संग ही अर्थात् गुणोंमें जो आसक्ति है वही इस भोक्ता सङ्ग अस्य पुरुषस्य भोक्तुः सदसद्योनिजन्मसु । पुरुषके अच्छी-बुरी योनियोंमें जन्म लेनेका कारण है।