पृष्ठ:श्रीमद्‌भगवद्‌गीता.pdf/३४

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AL अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे । गतासूनगतातूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ।।