पृष्ठ:श्रीमद्‌भगवद्‌गीता.pdf/३५१

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MAHISHEREa शांकरभाष्य अध्याय १३ प्राण आत्मत तत एव च तस्माद् एव च विस्तारम् उत्पत्ति तथा उस आमासे ही सारा बिस्तार--सबकी विकाश आत्मतः उत्पत्ति-विकाल देखता है अर्थात् जिस समय 'आत्मासे ही प्राणः आत्मास ही आशा, आत्मा- त्मतः स्मर आत्मत आकाश आत्मतस्तेज़ आत्मत ले ही काम, आत्मासे ही आकाश: आत्मासे आप आत्मत आविर्भावतिरोभावावात्मतोऽनम् ही तेज, आत्माले हो जल, आत्मासे ही अन्न, आत्मा ही सबका प्रकट और लीन होना' (छार ० उ० ७ १२६११) इति एवम् आदिप्रकारैः इत्यादि प्रकारसे सारा विस्तार आत्मासे ही हुआ विस्तारं यदा पश्यति ब्रह्म संपद्यते ब्रह्म एव देखने लगता है, उस समय वह ब्रह्मको प्राप्त हो भवति तदा तस्मिन् काले इत्यर्थः ॥ ३० ॥ जाता है—ब्रह्मरूप ही हो जाता है ।। ३०॥ एकस्य आत्मनः सर्वदेहात्मत्वे तद्दोपसंबन्धे एक ही आत्मा सब शरीरोंका आत्मा माना जानेसे, उसका उन सबके दोपोंसे सम्बन्ध होगा, प्राप्ते इदम् उच्यते-~- ऐसी शंका होनेपर यह कहा जाता है--- अनादित्वान्निर्गुणत्वात्परमात्मायमव्ययः । I शरीरस्थोऽपि कौन्तेय न करोति न लिप्यते ॥ ३१॥ कृत्वा न व्येति । अनादित्वाद् अनादेः भावः अनादित्वम् आदि, कारणको कहते हैं, जिसका कोई कारण न हो, उसका नाम अनादि है और अनादिके आदिः कारणं तद् यस्य न अस्ति तद्भावका नाम अनादित्व है, यह परमात्मा अनादि अनादि । यद् हि आदिमत् तत् खेन आत्मना होनेके कारण अव्यय है; क्योंकि जो वस्तु व्येति अयं तु अनादित्वाद् निरवयव इति आदिमान् होती है, वही अपने स्वरूपसे क्षीण होती है । किन्तु यह परमात्मा अनादि है, इसलिये अवयवरहित है । अतः इसका क्षय नहीं होता। तथा निर्गुणत्वात् सगुणो हि गुणव्ययाद् तथा निर्गुण होने के कारण भी यह अव्यय है; व्येति अयं तु निर्गुणत्वाद् न व्येति इति क्योंकि जो वस्तु गुणयुक्त होती है, उसका गुणोंके परमात्मा अयम् अव्ययो न अस्य व्ययो विद्यते क्षयसे क्षय होता है । परन्तु आत्मा गुणरहित है, अतः इसका क्षय नहीं होता । सुतरां यह परमात्मा इति अव्ययः। अव्यय है, अर्थात् इसका व्यय नहीं होता। यत एवम् अत: शरीरस्थः अपि शरीरेषु ऐसा होनेके कारण यह आत्मा शरीरमें स्थित आत्मन उपलब्धिः भवति इति शरीरस्थ हुआ भी-शरीरमें रहता हुआ भी कुछ नहीं करता है, तथा कुछ न करने के कारण ही उसके फलसे उच्यते तथापि न करोति । तदकरणाद् एव भी लिप्त नहीं होता है । आत्माकी शरीरमें प्रतीति तत्फलेन न लिप्यते । होती है, इसलिये शरीरमें स्थित कहा जाता है ।